ANMMCH: फर्श पर गंदगी के बीच बेड पर लेटे रहते हैं मरीज, उनका हाल-चाल पूछने भी कोई नहीं आता
गया के मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कुव्यवस्था का बोलबाला है। यहां न मरीजों का समुचित उपचार हो पा रहा है और न सही दवा मिल पा रही है। गंदगी के बीच फर्श पर लगे बेड पर लेटकर इलाज कराने की विवशता है।
गया, जागरण संवाददाता। कोरोना आपदा (Corona Pandemic in Bihar) में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सरकार के दावे व जमीनी हकीकत कही मेल नहीं खाते। इसकी बानगी जिले के सबसे बड़े अस्पताल अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (Anugrah Narayan Magadh Medical College and Hospital) में देखी जा सकती है। बीमार को लेकर मरीज के स्वजन यह सोचते हैं कि वहां बड़े डॉक्टर साहब इलाज करेंगे। समय से बेहतर दवा और उपचार मिलेगा। अच्छी साफ-सफाई होगी। लेकिन हो कुछ और रहा है। न तो समुचित दवा और उपचार मिल रहा है और न सही साफ-सफाई। जमीन पर जहां तहां बिखरे हुए मेडिकल कचरा व गंदगी को देखकर यहां की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
सिलेंडर में ऑक्सीजन है भी या नहीं, पता नहीं
मेडिकल अस्पताल के ट्राइएज वार्ड में मरीजों को बेड तक नहीं मिल रहा है। यहां अनेकों मरीज जमीन पर मिले बेड पर लेटे हुए दिखे। एक महिला मरीज के स्वजन संतोष कुमार ने नम आंखों से कहा कि दो दिन से यहां हैं। सिर्फ ऑक्सीजन का सिलेंडर मिला है। उसमें ऑक्सीजन है भी या नहीं मालूम नहीं। कोई कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है। बेड भी नहीं मिला है। दिन भर में 11 से 12 बजे के बीच एक सफाई कर्मी झाड़ू लगाकर चला जाता है। एक अन्य ने कहा कि बाजार से दवा खरीदकर लाता हूंं। काउंटर पर लंबी कतार है। वहां भी ज्यादातर पहचान व पैरवी वालों की ही सुनी जाती है।
दवा और इलाज के लिए बन रही नोंक-झोक की स्थिति
कुव्यवस्था से मरीज के स्वजनों में घोर असंतोष व नाराजगी देखी जा रही है। एक मरीज के स्वजन कमलेश कुमार ने कहा कि यहां हल्ला होता रहता है। दवा और इलाज के लिए कर्मियों की खुशामद करनी पड़ती है। कुछ वार्ड ब्यॉय आगे आकर अपनी जवाबेदही निभा रहे हैं। ये लड़के डॉक्टरों से अधिक सेवा में जुटे हुए दिखाई पड़ते हैं। कुव्यवस्था के कारण कई बार तो लड़ाई-झगड़े की स्थिति बन जाती है। वहां तैनात पुलिस लोगों और कर्मियों के बीच हो रही बहस के बीच समझाती बुझाती है। इस बीच अस्पताल प्रबंधन मानों तमाशबीन बना हो।
वरीय अधिकारियों के आदेश का अस्पताल प्रबंधन पर नहीं पड़ता असर
जिला स्तर से तमाम वरीय अधिकारी बेहतर चिकित्सा व्यवस्था को लेकर रोज निर्देश जारी करते हैं। समय-समय पर डीएम से लेकर कमिशनर साहब का निरीक्षण भी हो रहा है। लेकिन मरीजों के हित में जो किया जाना चाहिए वह जमीन पर होता हुआ नहीं दिख रहा।
अचानक मरीजों की संख्या बढ़ने पर जमीन पर लगाना पड़ता है बेड
एएनएमसीएच के प्रभारी अधीक्षक डॉ. प्रदीप अग्रवाल कहते हैं कि जब एक साथ मरीज की भीड़ बढ़ जाती है और तत्काल बेड खाली नहीं मिलता तो उस स्थिति में गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन लगाने के लिए जमीन पर बेड लगाना पड़ता है। साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। मरीज व उनके स्वजन भी इसमें सहयोग करें। बाहर से दवा किसी को भी नहीं लेनी है। यदि कोई बाहर से दवा लेने के लिए कहता है तो मरीज के परिजन शिकायत कर सकते हैं। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।