चित्तौड़गढ़ की धरती पर एनडीए व महागठबंधनों की अग्निपरीक्षा
औरंगाबाद। औरंगाबाद को मीनी चितौड़गढ़ कहा जाता है। इस बार विधानसभा चुनाव में दोनों महागठबंधन की अग्निपरीक्षा है। जिले की छह विस सीटें औरंगाबाद ओबरा गोह रफीगंज कुटुंबा एवं नवीनगर है। इसके लिए कुल 79 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां पहले चरण में 28 अक्टूबर को ही मतदान हो गया।
औरंगाबाद। औरंगाबाद को मीनी चितौड़गढ़ कहा जाता है। इस बार विधानसभा चुनाव में दोनों महागठबंधन की अग्निपरीक्षा है। जिले की छह विस सीटें औरंगाबाद, ओबरा, गोह, रफीगंज, कुटुंबा एवं नवीनगर है। इसके लिए कुल 79 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। यहां पहले चरण में 28 अक्टूबर को ही मतदान हो गया।
बीते चुनाव 2015 में महागठबंधन को तीन एवं एनडीए को भी तीन सीट ही मिली थी। हालांकि इस बार चुनावी समीकरण अलग हो गया है। एनडीए के एक प्रत्याशी महागठबंधन का दामन थाम लिए। इसके अलावा टिकट कटने से नाराज एक प्रत्याशी भी निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। एनडीए से जदयू से तीन, भाजपा से दो एवं हिदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्यूलर से एक प्रत्याशी चुनावी मैदान में है,ं जबकि महागठबंधन से राजद से चार एवं कांग्रेस से दो प्रत्याशी चुनावी जंग में डटे हुए हैं। लोजपा भी एनडीए से अलग होकर चुनावी जंग को त्रिकोणीय बनाने में लगी हुई है। निर्दलीय प्रत्याशी ने बदल दी खेल रफीगंज विधानसभा : 15 प्रत्याशी जदयू : अशोक कुमार सिंह राजद : मो. नेहालुद्दीन
निर्दलीय : प्रमोद कुमार सिंह रफीगंज विधानसभा हॉट सीट बनी हुई है। चुनावी जंग में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। रफीगंज एवं मदनपुर प्रखंड से मिलकर बना इस विधानसभा क्षेत्र से 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। जदयू ने तीसरी बार भी अशोक कुमार सिंह पर अपना विश्वास जताया है। ये 2010 से लगातार विधायक हैं। यहां राजद से मो. नेहालुद्दीन चुनावी मुकाबला में हैं। वहीं कांग्रेस के वरीय नेता प्रमोद कुमार सिंह निर्दलीय चुनावी मैदान में आकर लड़ाई का स्वरुप बदल दिया है। यहां त्रिकोणीय मुकाबले के कारण लड़ाई कांटे की हो गई है। आसान नहीं औरंगाबाद की सीट पर जीत औरंगाबाद विधानसभा : 9 प्रत्याशी। भाजपा : रामाधार सिंह कांग्रेस : आनंद शंकर सिंह औरंगाबाद विधानसभा से इस बार मात्र नौ प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। मुख्य रूप से कांग्रेस से आनंद शंकर सिंह एवं भाजपा के रामाधार सिंह के बीच चुनावी जंग है। परंतु इस बार दोनों के लिए जीत इतनी आसान नहीं होने वाली। राजनीति समीकरण पूरी तरह बदल चुकी है। इस बार लोग दोनों प्रत्याशियों द्वारा किए गए कार्यों की तुलना कर रहे हैं। रामाधार सिंह आठ बार चुनावी मैदान में रहे जिसमें चार बार जीते हैं। 2010 में बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री रहे। कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शंकर सिंह 2015 में पहली बार कांग्रेस के सीट से ही चुनाव लड़े जिसमें वो रामाधार सिंह को पराजित कर विजयी बने। इस बार भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। कार्य के आधार पर जनता हार-जीत का आंकलन कर रही है। समीकरण बदलना चाह रही नवीनगर की जनता नवीनगर विधानसभा : 14 प्रत्याशी जदयू : वीरेंद्र कुमार सिंह राजद : विजय कुमार सिंह उर्फ डब्लू
मगध प्रमंडल का सबसे बड़ा प्रखंड नवीनगर है। यह प्रखंड 25 पंचायत एवं एक नगर पंचायत का है। इसे मीनी चितौड़गढ़ कहा जाता है। नवीनगर की जनता इस बार चुनावी समीकरण को बदलना चाह रही है। इस बार प्रत्याशी को नहीं बल्कि काम को वोट करना चाह रही है। यहां से कुल 14 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। चार बार विधायक एवं एक बार सांसद रहे वीरेंद्र कुमार सिंह पर जदयू ने इस बार पुन: भरोसा जताया है। वहीं राजद से पूर्व विधायक विजय कुमार सिंह डब्लू मैदान में हैं। दोनों के बीच चुनावी जंग है। दोनों प्रत्याशी जनता को कितना भरोसा जता पाते हैं यह परिणाम से पता चल सकेगा। कुटुंबा में त्रिकोणीय दिख रही जंग कुटुंबा विधानसभा : 14 प्रत्याशी। कांग्रेस : राजेश कुमार हिदुस्तानी आवाम मोर्चा : श्रवण भुईंया
निर्दलीय : ललन भुईयां
कुटुंबा विधानसभा आरक्षित है। यहां इस बार चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल गया है। जदयू से पूर्व विधायक रहे ललन भुईयां इस बार निर्दलीय चुनावी मैदान में कांग्रेस विधायक राजेश कुमार के समक्ष खड़े हैं। यहां से इस बार एनडीए ने श्रवण भुईयां पर भरोसा जताया है। राजेश कुमार 2015 का चुनाव जीत चुके हैं। ऐसे में यहां का मुकाबला त्रिकोणीय होने की आसार है। तीनों प्रत्याशी क्षेत्र में अपनी दांव-पेंच अजमा रहे हैं। दिग्गजों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला गोह विधानसभा : 17 प्रत्याशी भाजपा : मनोज कुमार राजद : भीम सिंह रालोसपा : रणविजय कुमार गोह विधानसभा में इस बार तीन दिग्गजों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। विधानसभा में कुल 17 प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। जदयू से तीन बार विधायक रहे डा. रणविजय कुमार इस बार रालोसपा का दाम थाम लिए हैं। रालोसपा के टिकट से चुनावी मैदान में हैं। वर्ष 2015 में मनोज कुमार पहली बार भाजपा की टिकट से चुनाव लड़े थे और विजयी हुए। राजद से भीम सिंह इस बार फिर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। ये हर बार चुनावी मैदान में डट कर सामना करते हैं। हालांकि यहां का राजनीतिक समीकरण प्रत्याशियों को बेचैन कर रहा है। पहली बार चुनावी मैदान में पूर्व मंत्री का पुत्र ओबरा विधानसभा : 10 प्रत्याशी लोजपा : डा. प्रकाश चंद्रा राजद : ऋषि कुमार जदयू : सुनील कुमार गोह, रफीगंज एवं कुटुंबा की तरह ओबरा विधानसभा में भी इस बार त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। इस विधानसभा से पहली बार पूर्व मंत्री डा. कांति सिंह का पुत्र ऋषि कुमार अपनी किस्मत अजमाने उतरा है। ऋषि पहली बार चुनावी मैदान में उतरा है। यहां जदयू की टिकट से सुनील कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। सुनील इससे पूर्व रफीगंज विधानसभा से अपनी किस्मत आजमाएं थे परंतु असफलता हाथ लगी थी। लोजपा से समाजसेवी डा. प्रकाश चंद्रा चुनावी जंग में उतर गए हैं जिस कारण इस बार यहां का मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। हालांकि राजद व जदयू प्रत्याशी के लिए यह विधानसभा अंजान है। प्रमुख मुद्दा : 1. किसानों को जल्द मिले उत्तर कोयल व बटाने नहर से पानी। 2. नवीनगर व रफीगंज को अनुमंडल बनाया जाए। 3. औरंगाबाद में मेडिकल कॉलेज की जल्द स्थापना की जाए। 4. युवाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था। 5. बेहतर शिक्षा व समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराना।