हेरोइन तस्करी के खेल में माहिर थे कैमूर के अकोल्ही पंचायत के मुखिया, एनसीबी ने किया गिरफ्तार
मुखिया मनोज गुप्ता की हेरोइन सहित अन्य मादक पदार्थों के साथ गिरफ्तारी की खबर खूब वायरल हुई। 2015 के पंचायत चुनाव में वे मुखिया पद के प्रत्याशी बने और चुनाव जीते। 2021 के पंचायती चुनाव में स्वयं मुखिया और पत्नी जिला परिषद के चुनाव में भाग्य आजमाने वाले थे।
नुआंव, (कैमूर), जागरण टीम। नारकोटिक्स कंट्रोली ब्यूरो ने हेरोइन के तस्करी में शामिल नुआंव प्रखंड के अकोल्ही पंचायत के मुखिया मनोज कुमार गुप्ता को 280 ग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी मंगलवार (27 जुलाई ) की रात औरंगाबाद-पटना रोड से हुई। बुधवार सुबह से ही मुखिया की गिरफ्तारी की खबर वायरल हो रही थी, मगर कहीं से पुष्टि नहीं हो रही थी। हेरोइन तस्करी के खेल में माहिर इस मुखिया के पास से नारकोटिक्स ब्यूरो पटना की टीम ने 280 ग्राम हेरोइन, 255 ग्राम अल्प्रोजोलम और 9 किलोग्राम ब्लैक स्टोन बरामद किया है। इसके साथ ही एक पिस्टल 7.6.2 एमएम का बरामद हुआ है। तस्कर मुखिया मनोज के साथ रिसीवर के रूप में नौबतपुर के पनहरा गांव के रोहित कुमार को भी गिरफ्तार किया गया है।एनसीबी की टीम पिछले तीन महीने से पीछे लगी थी तब जाकर उसे सफलता मिली है।
दोनों के पास से अलग अलग लग्जरी गाडिय़ां भी जब्त हुई हैं। नारकोटिक्स ब्यूरो पटना के इंस्पेक्टर धीरज कुमार ने बताया कि मुखिया मनोज कुमार गुप्ता काफी दिनों से यूपी से बिहार लाकर हेरोइन की तस्करी कर रहा था।
इंटरनेट मीडिया पर वायरल थी खबर
पटना के एनसीबी टीम द्वारा प्रखंड के अकोल्ही पंचायत के मुखिया मनोज कुमार गुप्ता की गिरफ्तारी की चर्चा प्रखंड क्षेत्र में जोरों पर है। इंटरनेट मीडिया में वायरल इस खबर की चर्चा खूब हो रही है। दरअसल पटना से एक अखबार में छपी उनके गिरफ्तारी की खबर अहले सुबह ही इंटरनेट मीडिया पर अखबार की कतरन के साथ वायरल होने लगी। खबर पढ़ते ही लोग अपने अपने ढंग से चर्चा कर करने लगे। लोगों का कहना है कि यदि यह बात सही है तो उनके राजनीतिक जीवन पर इसका असर पडऩा निश्चित है। एनसीबी की पूछताछ में नए नए खुलासे हो सकते हैं। पर्दे के पीछे के अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं।
राजनीतिक प्रतिद्वंदी खूब उड़ा रहे हवा
राजनीतिक प्रतिद्वंदी उनकी गिरफ्तारी को लेकर तरह तरह की हवा उड़ा रहे हैं। लोगों के बीच यह भी चर्चा चल रही है कि रात्रि में एनसीबी की टीम उनके गांव जैतपुरा भी आई थी। इसी तरह लोगों में यह भी चर्चा है कि यूपी के गाजीपुर में अभी कुछ दिनों पहले यूपी सरकार द्वारा इनके कई ठिकानों को ध्वस्त किया गया है। प्रखंड के जैतपुरा गांव में एक गरीब परिवार में जन्मे मनोज मुखिया किस प्रकार इतनी अकूत संपदा के मालिक बने, इस पर लोग तरह तरह के कयास लगा रहे हैं। किसी का कहना है कि यह संपत्ति एनसीबी द्वारा जिस धंधे के लिए उन्हें दबोचा गया है उसी धंधे की आड़ में उन्होंने इतनी संपत्ति बनाई है तो किसी का कहना है कि अपने लंबे चौड़े व्यवसाय की बदौलत इतनी धन संपदा अर्जित की है।
2015 में राजनीतिक जीवन की शुरुआत
2015 के पंचायती चुनाव में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। पंचायत चुनाव में वे मुखिया पद के प्रत्याशी बने और चुनाव जीते भी। इसके बाद उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढऩे लगी। 2021 के पंचायती चुनाव में स्वयं मुखिया और पत्नी के माध्यम से जिला परिषद के चुनाव में भाग्य आजमाने वाले थे। इस घटना के बाद आसमान चढ़ी उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा एक हीं पल में जमीन पर आ गई। अब पंचायती चुनाव की उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा अधूरी होती दिखाई दे रही है