एनडीए की विधायक ने कहा, शिथिल पड़ी है धान खरीद की प्रक्रिया, इसे आसान बनाए सरकार
बाराचट्टी की विधायक ज्योति देवी ने विधानमंडल में कहा कि सरकार किसान गरीब और प्रवासी मजदूरों पर विशेष ध्यान दे। इस क्रम में वृद्धावस्था पेंशन के लिए उम्र सीमा 60 से घटाकर 50 वर्ष करने की मांग की। धान खरीद की प्रकिया भी आसान करने को कहा।
जेएनएन, गया। बिहार विधान मंडल सत्र के दौरान सदन में बाराचट्टी की एनडीए विधायक ज्योति देवी ने किसान, प्रवासी मजदूर एवं किसान हित को लेकर सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। विधायक ने सदन में बताया कि बिहार के लाखों असंगठित मजदूर दूसरे राज्यों में ईंट भट्टों पर एवं अन्य जगहों पर रोजी रोटी के लिए पलायन कर जाते हैं। इसके कारण लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने से वे वंचित रह जाते हैं। उनका मत भी बैलट पेपर के जरिए प्राप्त करने की व्यवस्था पर विचार किया जाए। उक्त मजदूर दूसरे राज्यों में जब पलायन करते हैं उससे पहले उनका निबंधन स्थानीय स्तर पर कराना सुनिश्चित हो। ताकि बाहर में उन पर होने वाले उत्पीड़न एवं कोई दुर्घटना के दौरान उन्हें सामाजिक आर्थिक एवं कानूनी सहायता मिल सके।
पैक्स में धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया की जाए सरल
विधायक ज्योति देवी ने संयुक्त सदन में कहा कि अभी रबी फसल का समय चल रहा है। किसान धान बेचकर ही खेत में पूंजी लगाते हैं। कई जरूरी काम भी इसी धान की खेती के फसल से करते हैं। किंतु धान खरीद की प्रक्रिया शिथिल पड़ी है। सरकार से किसानों के हित में धान की प्रक्रिया में तेजी लाने के साथ - साथ विधायक ने सरकार से आग्रह किया है कि धान क्रय की राशि भुगतान एवं खरीद की जटिलता प्रक्रिया को सरल की जाए।
वृद्धावस्था पेंशन की पात्रता के लिए 50 वर्ष तय हाे उम्र सीमा
विधान मंडल के संयुक्त सदन में विधायक ज्योति देवी ने सरकार को बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है कि अत्यंत गरीबी की वजह से खानपान में जरूरी पोषक तत्वों का अभाव है। निम्न स्तर की जीवन शैली और बदलते पर्यावरण के कारण व्यक्तियों की उम्र घटती जा रही है। इसके शिकार सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग हो रहे हैं। विधायक ने सरकार से अनुरोध किया कि पेंशन योजना की उम्र 60 वर्ष से घटाकर 50 वर्ष करने पर विचार करें। क्योंकि पेंशन की पात्रता रखने वाले 60 वर्ष की उम्र के बाद उनके लिए पेंशन की प्रक्रिया शुरू करते - करते अधिकांश आर्थिक अभाव में वैसे वृद्ध दुनिया छोड़ चुके होते हैं।