संसद में उठा थावे दुर्गा मंदिर को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने का मुद्दा

जागरण संवाददाता गोपालगंज ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर को केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योज

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 11:52 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 11:52 PM (IST)
संसद में उठा थावे दुर्गा मंदिर को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने का मुद्दा
संसद में उठा थावे दुर्गा मंदिर को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने का मुद्दा

जागरण संवाददाता, गोपालगंज : ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर को केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने की पहल शुरू हो गई है। सांसद सह जदयू के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डा. आलोक कुमार सुमन ने लोकसभा के शून्यकाल में थावे पर्यटन स्थल को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने की मांग की है। सांसद ने इस मुद्दे से सदन को अवगत कराते हुए केंद्रीय पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी को संबोधित करते हुए स्पीकर के सामने ये प्रस्ताव रखा। इस दौरान सांसद की मांग को पूरा करने का आश्वासन केंद्रीय पर्यटक मंत्री के द्वारा दिया गया। सांसद डा. आलोक कुमार सुमन ने बताया कि स्वदेश दर्शन योजना केंद्र सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना है। यह योजना ग्रामीण इलाकों में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि इस योजना में जिले के ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर को भी शामिल किए जाने से पर्यटन के लिहाज से गोपालगंज को एक नई पहचान मिलेगी। सांसद ने बताया कि थावे दुर्गा मंदिर ऐतिहासिक पीठ है। यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। प्राचीन दुर्गा मंदिर देवी भक्तों की श्रद्धा का बड़ा केंद्र है। जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर सिवान-गोपालगंज मुख्य मार्ग पर स्थित मां दुर्गा के इस मंदिर में बिहार के साथ उत्तर प्रदेश व नेपाल के लोग भी आते हैं। मान्यता है कि यहां पूजा-अर्चना करने से भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह मंदिर बिहार पर्यटन के नक्शे पर है। अब केंद्र सरकार स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करती है तो इस इलाके में समग्र विकास होने की संभावनाएं बढ़ेंगी और विदेशी पर्यटकों का केंद्र बनेगा। इस लिहाज से इसे विकसित करने की जरूरत है।

चेरो वंश से जुड़ा है थावे मंदिर का इतिहास

ऐतिहासिक पीठ का इतिहास भक्त रहषू स्वामी और चेरो वंश के राजा की कहानी से जुड़ी हुई है। 1714 के पूर्व यहां चेरो वंश के राजा मनन सेन का साम्राज्य हुआ करता था। ऐसा माना जाता है कि इस कुरूर राजा के दबाव डालने पर भक्त रहषू स्वामी की पुकार पर मां भवानी कामरूप कामाख्या से चलकर थावे पहुंचीं। उनके थावे पहुंचने के साथ ही राजा मनन सिंह का महल खंडहर में तब्दील हो गया। भक्त रहषू के सिर से मां ने अपना कंगन युक्त हाथ प्रकट कर राजा को दर्शन दिया। देवी के दर्शन के साथ ही राजा मनन सेन का भी प्राणांत हो गया। इस घटना की चर्चा पर स्थानीय लोगों ने वहां देवी की पूजा शुरू कर दी। तब से यह स्थान जाग्रत पीठ के रूप में मान्य है।

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