ग्रामीणों ने अपने हाथों में ली कमान तो इनरबोरबा बांध बन गया वरदान, बंजर भूमि हो गई उपजाऊ
इनबोरबा बांध से सैकड़ों एकड़ भूमि का पटवन होने लगा है। लंबे समय से अनुपयोगी बना यह बांध ग्रामीणों के प्रयास से वरदान साबित हो रहा है। कभी मरुभूमि की तरह दिखने वाला क्षेत्र अब हरा-भरा दिखने लगा है।
डोभी (गया), संवाद सूत्र। गया जिले के डोभी प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर दक्षिण खरांटी पंचायत में इनबोरबा बांध है। सन 1990 में सिंचाई विभाग ने इनबोरबा नदी पर यह बांध बनाया था। इनबोरबा नदी बरसाती नदी है। स्थानीय ग्रामीणों ने बिहार सरकार के कृषि एवं सिचाई विभाग को आवेदन देकर बांध बांधने की गुहार लगाई थी। उस आलोक में सिंचाई विभाग ने इसका निर्माण कराया। लेकिन हद तो यह कि यह बांध 2010 तक चालू नही हुआ। बांध से नहर नहीं निकाला गया। इसके कारण इसके निर्माण के बाद भी कोई फायदा किसानों को नही मिल रहा था।बांध में लगा स्लुइस गेट भी चोरी हो गया।
बांध तो बन गया, अब थी स्थानीय लोगों की बारी
बांध तो बन गया लेकिन अनुपयोगी था। इसके बाद खरांटी, कुरमावां, पट्टी, बिबिपेशरा पंचायत के लोगो ने बांध के पास बैठक की। ग्रामीणों ने जमीन के हिसाब से चंदा जुटाना करना शुरू किया। इसके बाद कैनाल का निर्माण शुरू हो गया। जमीन के अंतिम छोर तक कैनाल का निर्माण जेसीबी से होने लगा। ग्रामीणों ने बताया कि अब इस बांध से सैकड़ों एकड़ भूमि का पटवन हो रहा है। प्रखंड के कई पंचायत के जमीन का पटवन आसानी से हो रहा है। इससे एक समय मरुस्थल सा दिख रहा इलाका हरा-भरा हो गया है। इस बांध के सलुइस गेट के चोरी होने के बाद ग्रामीण इसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी खुद संभाल रहे हैं। पानी के ज्यादा जमाव होने से किसानों को फायदा मिलना शुरू हो गया है। सैकड़ों एकड़ भूमि प्रत्येक साल बंजर रहती थी आज वहां हर मौसम में खेती हो रहा है।
ग्रामीणों की पहल से वरदान हो गया इनबोरबा बांध
इनबोरबा बांध इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रहा है। वर्तमान समय मे इसमें किसी भी प्रकार की मरम्मत की जरूरत पड़ने पर स्वयं स्थानीय किसान करते है। श्रमदान से इसकी मरम्मत के बाद से बांध की स्थिति काफी बेहतर है। ग्रामीण उमेश यादव, पिंटू कुमार और संजय यादव ने बताया कि इस बांध से खरांटी, कुरमावां, पट्टी, बिबिपेशरा और बाराचट्टी के अन्य पंचायत भी लाभान्वित है। जल जमाव होने से आस-पास का पेय जल का स्तर में गिरावट रुक गया है।