Aurangabad: यहां का स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र है बस नाम का, डॉक्‍टर व कर्मी कब आते हैं इसका पता ही नहीं चलता

औरंगाबाद जिले में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं लचर स्थिति में है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रोंं में स्थित स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों की स्थिति ठीक नहीं है। यहां कब डॉक्‍टर और कर्मी आते हैं पता ही नहीं चलता। इस कारण लोगों में आक्रोश है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 28 Apr 2021 10:26 AM (IST) Updated:Wed, 28 Apr 2021 10:26 AM (IST)
Aurangabad: यहां का स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र है बस नाम का, डॉक्‍टर व कर्मी कब आते हैं इसका पता ही नहीं चलता
चौंकिए मत, यह स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र ही है। जागरण

विजय कर्ण, हसपुरा (औरंगाबाद)। ग्रामीण स्तर पर कोरोना महामारी को रोकने के लिए ग्रामीण स्तर पर स्थापित स्वास्थ्य केंद्रों को सुदृढ़ व सभी सुविधाओं से लैस करने की दिशा में मांग उठने लगी है, क्योंकि अब ग्रामीण स्तर पर लोग कोरोना के आक्रमण को लेकर भयभीत होने लगे हैं। कोरोना को देखते हुए जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य समिति से ग्रामीण स्तर पर स्थापित उप स्वास्थ्य केंद्रों व अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज के लिए समुचित व्यवस्था करने की मांग की है। ताकि कोरोना के मरीजों को दूसरे जगह के अस्पताल में नहीं जाना पड़ सके। उदाहरण के रूप में देखा जाए तो मलहारा पंचायत के बड़ोखर गांव में स्थापित स्वास्थ्य केंद्र कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों की माने तो केंद्र में कोई सुविधा नहीं है।

डॉक्‍टर-एएनएम कब आते पता ही नहीं चलता 

यहां चिकित्सक व एएनएम कब आते हैं व चले जाते हैं या नहीं आते हैं। कुछ पता नहीं चलता। जब ग्रामीण जाते हैं तो केंद्र में ताला लटकता दिखाई पड़ती है। मलहारा पंचायत के पूर्व मुखिया राजेन्द्र यादव ने कहा कि जब छोटी मोटी बीमारी का इलाज यहां संभव नहीं है तो कोरोना जैसे रोग का इलाज हो पाना तो कोसों दूर की बात है। पूर्व मुखिया ने कहा कि यदि कोरोना को हमें हराना है तो हर स्तर पर हमें तैयार होना होगा। कहा कि बड़ोखर जैसे ग्रामीण स्तर की अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति ऐसी ही है। ऐसे केंद्र स्वयं इलाज के लिए तरस रहे हैं। ऐसे केंद्रों से ग्रामीणों को कोई लाभ नही मिल रहा। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वे ग्रामीण स्तर पर स्थापित स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त दवा व चिकित्सक की व्यवस्था सुनिश्चित करें तभी कोरोना जैसे महामारी को पटकने में हम कामयाब होंगे।

डुमरा गांव का स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र भी रहता है बंद 

डुमरा गांव में भी वही स्थिति है। स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन वह हमेशा बंद रहती है। न तो वहां दवा रहती व न हीं चिकित्सक। प्रखंड के गांवों में स्थापित अधिकांश उप स्वास्थ्य केंद्रों यही स्थिति है। यदि यही स्थिति रही तो समझ लो कि हम कोरोना जैसे महामारी से हम मुकाबला नहीं कर सकते हैं। ग्रामीणों ने प्रखंड के ग्रामीण स्तर पर स्थापित तमाम स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों व एएनएम के साथ दवा, बेड, ऑक्सीजन सहित की व्यवस्था करने की दिशा में शीघ्र पहल करने की मांग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की है।

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