गया में बिखरने लगी है तिलकुट की सोंधी खुशबू, जानिए कहां के तिल का बना तिलकुट खाते हैं आप

तिलकुट के लिए प्रसिद्ध गया में एक बार फिर बड़े पैमाने पर तिलकुट का निर्माण होने लगा है। जगह-जगह दुकानें खुली हुई हैं। इसकी सोंधी खुशबू राहगीरों को बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है। दो से ढाई सौ रुपये प्रति किलो की दर से तिलकुट बिक रहा है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 07:54 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 10:23 AM (IST)
गया में बिखरने लगी है तिलकुट की सोंधी खुशबू, जानिए कहां के तिल का बना तिलकुट खाते हैं आप
शहर के रमना रोड में तिलकुट तैयार करते कारीगर। जागरण

जेएनएन, गया। गया का प्रसिद्ध तिलकुट, तिलकुट गया वाला, गया के कारीगरों द्वारा तैयार तिलकुट। आपने तिलकुट की दुकानों में जगह-जगह इस तरह का बैनर-पोस्‍टर देखा होगा। ऐसे में यह बात आसानी से समझ में आती है कि गया के तिलकुट में कुछ खास बात है। तो इन दिनों गया में तिलकुट का निर्माण बड़े पैमाने पर होने लगा है। इसकी सोंधी खुशबू राहगीरों को भी मुग्‍ध कर रही है। लोगों के कदम खुद ब खुद तिलकुट की दुकानों की अोर बढ़ जाते हैं।शहर में सबसे अधिक तिलकुट रमना रोड में बनता है। यहां तिलकुट की सैकड़ों दुकाने हैं। पूरे दिन दुकान में तिलकुट की खरीदारी को लेकर ग्राहकों की भीड़ रहती है।  लोग अपने पसंद के अनुसार तिलकुट की खरीदारी कर रहे हैं।

छठ पूजा के बाद बढ़ जाती तिलकुट की मांग

तिल की तासीर गर्म होती है। इसलिए जाड़े के मौसम में लोग तिलकुट खाते हैं। वैसे तिलकुट का बिक्री में इजाफा छठ पूजा के बाद से शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति तक तिलकुट के तेवर काफी गर्म रहते हैं। बिहार के कोने-कोने में गया का तिलकुट छाया रहताहै।

200 से 280 रुपये प्रति किलो की दर पर हो रही बिक्री

रमना रोड स्थित तिलकुट विक्रेता अश्विनी गुप्ता का कहना है कि तिलकुट की बिक्री अच्छी हो रही है। चीनी के साथ-साथ गुड़ का भी तिलकुट तैयार किया जा रहा है। ग्राहक चीनी की अपेक्षा गुड़ का तिलकुट अधिक पसंद कर रहे हैं। वहीं खोआ, बुरादा ,केसर आदि का भी तिलकुट बन रहा है। बाजार में 200 रुपये से लेकर 280 रुपये किलो तक का तिलकुट बिक रहा है।

कानपुर और झारखंड के तिल (Sesame) का तिलकुट खाते हैं आप

तिलकुट विक्रेता संघ के अध्यक्ष लालजी प्रसाद का कहना है कि दो से तीन महीने तिलकुट की खूब बिक्री होती है। इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलता है। क्योंकि तिलकुट तैयार करने में कई लोगों की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि कानपुर के तिल से तिलकुट बन रहा है। इसके अलावा झारखंड के हरिहरगंज से भी तिल आ रहा है लेकिन कानपुर तिल बेहतर होता है।

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