यूरिया-खाद की कमी से कोंच के किसान परेशान, कैसे होगी धान की अच्छी फसल; आर्थिक तंगी गहराई

खाद कहीं-कहीं दुकान या पैक्स में उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन पर्याप्‍त मात्रा में खाद उपलब्ध सरकार द्वारा नहीं कराने से किसानों को संकट बना है। वहीं किसानों ने बताया कि पदाधिकारियों को खाद को लेकर कोई चिंता नहीं है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 03:45 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 03:45 PM (IST)
यूरिया-खाद की कमी से कोंच के किसान परेशान, कैसे होगी धान की अच्छी फसल; आर्थिक तंगी गहराई
खेत में फसल देखकर चिंतित किसान। जागरण आर्काइव।

संवाद सूत्र, कोंच (गया)। गया जिले के कोच प्रखंड क्षेत्रों में यूरिया खाद को लेकर किसान काफी चिंतित हैं। प्रखंड के पदाधिकारियों द्वारा लगातार किसानों को आश्वासन दे कर मन को शांत कराया जा रहा है और किसान बेचारा बन बैठा है। किसानों के खाद के किल्लत को लेकर जन आक्रोश सरकारी महकमे के प्रति बढ़ रहा है। वहीं, प्रखंड के बीडीओ प्रदीप कुमार चौधरी एवं  कृषि पदाधिकारी का कहना है कि दुकानदारों या पैक्स को पूर्ण खाद उपलब्ध नहीं होने से किसानों को समस्या बनी हुई है। खाद आ जाने पर समस्या हल हो जाएगा।

वहीं, विश्वस्त सूत्रों को माने तो खाद कहीं-कहीं दुकान या पैक्स में उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन, पर्याप्‍त मात्रा में खाद उपलब्ध सरकार द्वारा नहीं कराने से किसानों को संकट बना है। वहीं, किसानों ने बताया कि पदाधिकारियों को खाद को लेकर कोई चिंता नहीं है। पदाधिकारियों द्वारा लगातार किसानों को टाल मटोल किया जा रहा है और खाद उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। कहीं-कहीं ऐसे गांव हैं जो दुकानों से बहुत दुरी है। जिससे लोग वंचित हो जाते हैं। वहीं, दूसरी ओर पंचायत चुनाव नजदीक आ गया है और आमतौर पर जहां जहां प्रतिनिधि गांव गांव घुमने जा रहे हैं। वहां किसानों को सबसे पहले खाद की पूरा करने का मांग किया जा रहा है और सरकार के कर्मी चुप्पी साध रखे हैं।

मालूम हो कि विगत दिनों प्रगतिशील किसान संघ के बैनर तले खाद की किल्लत को लेकर प्रखण्ड कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया था। जिसमें प्रखण्ड मुख्यालय आये कृषि विभाग के रसायन निदेशक के द्वारा दो दिनों में प्रचूर मात्रा में खाद आने की बात कह गई थी। लेकिन एक सप्ताह बीतने को है और खाद नहीं मिल पा रहा है। जिससे फसल होने की संभावना कम होते दिख रही है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों के लिए घोर संकटकाल है।

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