1500 फीट पहाड़ी से खटोले में ढोते मरीज, रोहतासगढ़ पंचायत के छह गांवों में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का है यह हाल

बिहार के सासाराम जिले में रोहतासगढ़ पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांवों के वनवासी आजादी के 74 साल बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं से महरूम हैं । एंबुलेंस के अभाव में मरीज खटोली से ढोए जाते हैं। उप स्वास्थ्य केंद्र का लाभ नहीं मिल रहा।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 10:29 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 02:45 PM (IST)
1500 फीट पहाड़ी से खटोले में ढोते मरीज, रोहतासगढ़ पंचायत के छह गांवों में स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का है यह हाल
पहाड़ी से इस तरह खटोले में लादकर मरीज को अस्‍पताल ले जाते ग्रामीण। जागरण फोटो।

रोहतास, संवाद सूत्र। पहाड़ी पर बसे रोहतासगढ़ पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोग आजादी के 74 वर्षों बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं महरूम हैं। बभन तलाव, ब्रह्म देवता, नागा टोली, चाकडीह, कछुअर, नकटी भवनवां आदि टोलों से आज भी मरीज को स्वजन खटोले में लेकर पैदल ही इलाज के लिए पीएचसी रोहतास या अन्य निजी अस्पतालों में ले जाते हैं। यहां तक कि प्रसव के लिए आई महिला को भी बच्चा के साथ खटोले में ले जाया जाता है। सरकारी एंबुलेंस की भी सुविधा मुहैया नहीं होने से कई बार इलाज में देरी होने के चलते मरीज की जान भी चली जाती है।

 मरीजों के लिए मजबूरी है 1500 फीट की चढ़ाई:

किसी के बीमार होने पर इलाज के लिए स्वजन खाट पर लादकर लगभग 1500 फीट की ऊंचाई से नीचे उतरते हैं और फिर वापस उसी तरह मरीजों की जान जोखिम में डालकर ऊपर पहाड़ी पर स्थित अपने गांव ले जाते हैं। बभन तलाव गांव निवासी बबन यादव ने बताया कि वे अपनी पत्नी को प्रसव के लिए खटोले पर लादकर एक निजी अस्पताल में लाए थे। उसी तरह वापस भी अपने गांव ले गए। ग्रामीण बंगलु यादव का कहना है कि रोहतासगढ़ पंचायत के नागा टोली में उप स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन हमेशा ताला लगा रहता है। जबकि वहां दो एएनएम उषा कुमारी व सुनीता कुमारी के अलावा तीन आशा पदस्थापित हैं। यहां न तो कोई जांच के लिए आता है, इसकी सुध लेता है।

 अमान्य चिकित्सकों की चांदी:

स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित वनवासियों की मजबूरी का लाभ उठा अमान्य चिकित्सकों की चांदी कट रही है। कई बार नीम-हकीम खतरे जान वाली कहावत भी चरितार्थ हो जाती है। ग्रामीण शिवकुमारी देवी का कहना है कि अचानक जब किसी की बीमारी बढ़ जाती है या महिलाओं को प्रसव पीड़ा शुरू होती है, तो आनन-फानन में समझ में नहीं आता है कि मरीज को कहां भर्ती करें। ऐसे में अमान्‍य चिकित्सकों का सहारा लेना मजबूरी हो जाती है।

कहते हैं चिकित्सा प्रभारी:

चिकित्सा प्रभारी डा. मुकेश कुमार का कहना है कि हमारी टीम लगातार पहाड़ के लोगों से संपर्क कर उन्हें उचित स्वास्थ्य सुविधा देने का प्रयास कर रही है। एएनएम व आशा को भी सख्ती से कार्य करने का निर्देश दिया गया है। कार्य में किसी तरह की लापरवाही पाई गई, तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

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