कोरोनाकाल में बेरोजगार हो गए औरंगाबाद के कलाकार, हवा-हवाई साबित हुई सरकार की मानदेय योजना

दो शाम की रोटी जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। कलाकारों पर न सरकार का ध्यान है और न हीं प्रशासन का। सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद होने का असर एक वर्ष से कलाकारों पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि कलाकार रोजगार की खोज में भटक रहे हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 01:20 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 01:20 PM (IST)
कोरोनाकाल में बेरोजगार हो गए औरंगाबाद के कलाकार, हवा-हवाई साबित हुई सरकार की मानदेय योजना
कोरोनाकाल में कलाकारों को नहीं मिल रही आर्थिक मदद। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। ऑल इंडिया इवेंट आर्टिस्ट एसोसिएशन शाखा औरंगाबाद के जिलाध्यक्ष सह दानिका संगीत महाविद्यालय के निदेशक डॉ. रविंद्र कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कोरोना काल में कलाकारों की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। अपने बयान में कहा है कि कोरोना काल में कलाकार बेरोजगार हो गए हैं।

दो शाम की रोटी जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। कलाकारों पर न सरकार का ध्यान है और न हीं प्रशासन का। सांस्कृतिक कार्यक्रम बंद होने का असर एक वर्ष से कलाकारों पर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि कलाकार रोजगार की खोज में भटक रहे हैं। किसी का ध्यान कलाकारों पर नहीं है। डॉ. रविंद्र ने मुख्यमंत्री, सांस्कृतिक मंत्री एवं जिला प्रशासन से कलाकारों के हित में निर्णय लेने का आग्रह किया है। कहा है कि अधिकांश कलाकार या तो निजी विद्यालय में पढ़ाते हैं या शादी-विवाह के मौसम में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर अपने परिवार की जीविका चलाते हैं।

निजी विद्यालय वाले भी कलाकारों का शोषण करते हैं, लेकिन एक वर्षों से विद्यालय भी बंद है जिस कारण कलाकारों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। डॉ. रविंद्र ने सवाल उठाया है कि दूरदर्शन एवं आकाशवाणी में जो कलाकार पहले से कार्य करते हैं वही कार्यक्रम देते हैं। बाहरी कलाकारों को मौका नहीं मिलता है। सरकार से सभी विद्यालयों में संगीत शिक्षक की बहाली करने की मांग रखी है। कहा कि विद्यालयों में अगर संगीत की पढ़ाई प्रारंभ होती है तो इसका लाभ कलाकारों को मिलेगा।

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