दूसरे को खेती का गुर सिखाने वाला रामगढ़ का कृषि फार्म खुद उपेक्षित, अबतक नहीं हो सकी धान की रोपनी
इस कृषि फार्म में कभी मैनेजर के साथ चार कर्मियों का रहना होता था। जिससे खेती बारी के साथ लोगों को कृषि पाठशाला लगाकर उन्नत खेती का गुर सिखाए जाता था। लेकिन एक भी कर्मी के नहीं रहने से अब पुरानी बात खत्म हो गई है।
संवाद सूत्र, रामगढ़ (भभुआ)। कभी आधुनिक खेती कर जिले में अपनी पहचान स्थापित करने वाला रामगढ़ का कृषि फार्म बदहाली के दौर से गुजर रहा है। दूसरे को खेती का गुर सिखाने वाला खुद ही उपेक्षित है। 26 एकड़ के भूखंड पर फैले इस कृषि फार्म में सब कुछ प्रकृति के भरोसे है। यहां न तो ट्रैक्टर है और न ही कृषि फार्म में कोई कृषि यंत्र।
बाहर से भाड़ा पर ट्रैक्टर मंगाकर कृषि फार्म में खेती की जाती है, जबकि कृषि को लैपटॉप से जोड़कर रोडमैप बनाने के लिए सरकार नित नए प्रयासों को अमलीजामा पहनाने की बात करती है। इसके लिए समय समय पर किसानों को तकनीकी खेती की जानकारी दी जाती है। यह जानकारी प्रखंड से लेकर पंचायत स्तर पर दी जाती है। लेकिन, खुद इसपर अमल नहीं किया जाता। जिसके चलते यह कृषि फार्म पर खेती घाटे की सौदा हो रही है। प्रत्यक्षण से लेकर श्रीविधि की खेती करने को लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि कम लागत में अधिक पैदावार हो। इसके लिए खाद के साथ बीज भी अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया जाता है।
कृषि विशेषज्ञों की मौजूदगी में क्राप कटिंग कर धान गेहूं का औसत उत्पादन का दर निर्धारित होता है। लेकिन यह खेती कृषि फार्म में नहीं होती। एक समय था कि इस कृषि फार्म में दौ बैलों की जोड़ी के साथ पांच कर्मी रहते थे। वाटर हार्वेस्टिंग के तहत खेती होती थी। यहां से बीज का शोध कर बाहर भेजी जाती थी। कृषि फार्म की खेती को बाहर से किसान आकर देख इसका अनुशरण करते थे। लेकिन बदलते समय में सब कुछ बदलाव गया। अब तो इसमें न तो समय से धान की खेती हो पाती है और न ही गेहूं की। सिंचाई की व्यवस्था ठीक नहीं होने से सभी खेतों की जोताई प्रभावित हुई थी।
कृषि यंत्र व ट्रैक्टर विहीन है कृषि फार्म
इस कृषि फार्म को खेती की लड़ाई लडऩे के लिए अपना हथियार तक नहीं है। भाड़े के ट्रैक्टर व कृषि यंत्र मगाकर किसी तरह खेती होती है। दो बैलों की जोड़ी भी अब नहीं दिखती। बोरिंग मशीन में एक सबमर्सिबल खराब है। समय पर खेती करने व उसको देखभाल के लिए कर्मी के नाम पर एक समन्वयक हैं। जिनके द्वारा खेती का कोरम पुरा किया जा रहा है।
मैनेजर को लेकर चार कर्मी का है पद
इस कृषि फार्म में कभी मैनेजर के साथ चार कर्मियों का रहना होता था। जिससे खेती बारी के साथ लोगों को कृषि पाठशाला लगाकर उन्नत खेती का गुर सिखाए जाता था। लेकिन, एक भी कर्मी के नहीं रहने से अब पुरानी बात खत्म हो गई है।
क्या कहतें हैं पदाधिकारी
इस संबंध में कृषि फार्म के इंचार्ज व समन्वयक शैलेन्द्र कनौजिया ने बताया कि श्रीविधि व प्रत्यक्षण की खेती संसाधन के अभाव में फार्म में नहीं हो रही है। पानी नहीं होने के चलते खेतों को सूखे जोतवा दिया गया था। पानी बोरिंग मशीन से कर धान की रोपाई शुरू है। ट्रैक्टर व कृषि यंत्र यहां नहीं है। बाहर से ट्रैक्टर मंगाकर खेती होती है।