Teacher's day 2021 special: शिक्षकों ने वाट्सएप ग्रुप से कोरोना काल में भी कराई पढ़ाई, खुद के खर्चे से स्कूल को बनाया सुपर स्कूल

गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय गिंजोय खुर्द के प्रभारी प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों ने पूरे स्कूल को सकारात्मकता से भर दिया है। अपने खर्चे से स्कूल के भवन को उन्होंने शिक्षा भवन बना दिया है। और प्रतियोगिता कराकर बच्चों को पुरस्कार भी देते हैं।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 09:33 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 09:33 PM (IST)
Teacher's day 2021 special: शिक्षकों ने वाट्सएप ग्रुप से कोरोना काल में भी कराई पढ़ाई, खुद के खर्चे से स्कूल को बनाया सुपर स्कूल
गया के टनकुप्पा में स्कूल के भवन को शिक्षकों ने बना दिया शिक्षा एक्सप्रेस। जागरण

संवाद सूत्र, टनकुप्पा : कोरोना काल में शिक्षा पर बहुत बुरा असर पड़ा। बच्चों की पढ़ाई रुक गई। पाठशाला में एक साथ छात्र अपने दोस्तो के साथ मौज मस्ती करते हुए पढ़ाई करने का आनंद बाधित हो गया। शिक्षक छात्र के बीच मधुर संबंध पर ब्रेक लग गया। ऐसे में गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय गिंजोय खुर्द के प्रभारी प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों ने विचार कर बच्चों की पढ़ाई चालू रखने का कदम उठाया और छात्रों को शिक्षा देने की तैयारी शुरू कर दी।

मीना मंच वाट्सएप अकाउंट बनाकर छात्र के स्वजनों का नंबर जोड़ा

 पहला एवं दूसरे कोरोना काल में शिक्षक सबसे पहले मीना मंच वाट्सएप अकाउंट बनाकर छात्र के स्वजनों का नंबर जोड़ा गया। विद्यालय प्रभारी जितेंद्र मौआर, कमलेश दास, मिथलेश कुमार, बबिता कुमारी, कंचन कुमारी एवं शिक्षा सेवक द्वारा अलग अलग विषय के पाठ को बोर्ड पर बनाकर वाट्सएप के जरिए छात्रों के पास भेजना शुरू किया गया। जिस बच्चे के पास मोबाइल की सुविधा नहीं थी। उन बच्चों के घर जाकर अभिभावक से मिलकर आस पड़ोस से बच्चों के मोबाइल से पढ़ाई करने की जानकारी दी।

शिक्षकों ने विद्यालय में अंशदान से बनाया, स्मार्ट क्लास और भवन को शिक्षा एक्सप्रेस

कोरोना काल में शिक्षक बैठे नहीं रहे। शिक्षकों के अंदर यह जिज्ञासा जागी कि बच्चे खुशनुमा माहौल में ऊर्जावान होकर पढ़ाई करे। इसके लिए विद्यालय भवन को शिक्षा एक्सप्रेस का रूप देने की योजना बनाई गई। वर्ग कक्ष को नया रूप दिया गया। विद्यालय को सजाने का कार्य कोरोना काल मे निरंतर चलता रहा। शिक्षक अपने वेतन में से कुछ पैसे को अंशदान स्वरूप विद्यालय में देकर स्मार्ट क्लास का निर्माण कराया। बच्चों को स्मार्ट क्लास में विशेष शिक्षा दी जाती है। इसके लिए कोई सरकारी फंड नहीं मिला है। 

प्रत्येक माह शिक्षक अभिभावकों के साथ होती है बैठक

शिक्षकों का सोच था कि सुदूरवर्ती क्षेत्र के बच्चों को विद्यालय में शहर वाली सुविधा दे। इस विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक कि पढ़ाई की सुविधा है। छात्रों की संख्या 441 है। शिक्षक की संख्या प्रभारी मिलाकर पांच है। एक शिक्षा सेवक है। सभी आपस में समन्वय बनाकर विद्यालय का नियमित संचालन करते है। उक्त विद्यालय को विभाग द्वारा सम्मानित किया गया है। शिक्षकों ने बताया की असहाय बच्चों को विद्यालय लाकर उसे शिक्षा से जोड़ने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आकर शिक्षा ग्रहण करे इसके लिए प्रत्येक माह शिक्षक अभिभावकों के साथ बैठक किया जाता है। बैठक में बच्चों की पढ़ाई के प्रति गंभीर बनने की सलाह दी जाती है। जो बच्चे नियमित विद्यालय नही आते उसकी उपस्थिति अभिभावक को दिखाया जाता है। 

प्रतियोगिता और पुरस्कार का भी खर्च खुद करते हैं शिक्षक, नहीं मिलता कोई फण्ड

उक्त प्रयास से बच्चे प्रतिदिन विद्यालय पढ़ने आते है। बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बना रहे इसके लिए विद्यालय में प्रतियोगिता आदि का आयोजन कराया जाता है। साथ ही हौसला बढ़ाने के लिए सफल बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। उक्त सभी खर्च शिक्षक अपनी जेब से वहन करते है

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