सिस्टम की लापरवाही: पोस्टमार्टम के लिए छह घंटे तक पड़ा रहा शव, डीएम को करना पड़ा हस्तक्षेप
हत्या के बाद एक शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए स्वजन परेशान रहे। लेकिन सदर अस्पताल में छह घंटे तक शव पड़ा रहा। बाद में डीएम के हस्तक्षेप से देर शाम पोस्टमार्टम किया गया। लोगों का कहना है कि यहां की स्थिति बहुत खराब है।
औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। बारुण थाना क्षेत्र के सिरिस गांव निवासी चंदन कुमार का पोस्टमार्टम सोमवार की रात करीब आठ बजे हुआ। सोमवार को दिन करीब दो बजे से स्वजन पोस्टमार्टम के लिए परेशान रहे। वे पोस्टमार्टम के लिए अधिकारियों को फोन करते रहे। डीएम सौरभ जोरवाल एवं एसपी सुधीर कुमार पोरिका को जब फोन किया तब परेशानी दूर हुई और रात को शव का पोस्टमार्टम हुआ। फिर स्वजन शव को घर ले गए। रात्रि करीब 11 बजे तक अंतिम संस्कार किए।
दो बजे से अस्पताल में पड़ा था शव
स्वजनों के अनुसार सोमवार को दिन करीब दो बजे से चार घंटा शव सदर अस्पताल में पड़ा रहा। उसके बाद रात आठ बजे तक शव पोस्टमार्टम कक्ष में पड़ा रहा। सदर अस्पताल में स्वजन पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने के लिए पुलिस और पोस्टमार्टम कक्ष में चिकित्सक के आने के इंतजार में परेशान रहे। दिन में बारुण थाना एवं नगर थाना पुलिस की लापरवाही से पोस्टमार्टम में विलंब हुआ।
दो थाने की पुलिस एक-दूसरे पर फेंकती रही रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी
पोस्टमार्टम के लिए जब पुलिस रिपोर्ट तैयार करती है तब चिकित्सक पोस्टमार्टम करते हैं। लेकिन दिन में न बारुण थाना एवं न नगर थाना की पुलिस रिपोर्ट तैयार करने सदर अस्पताल पहुंची। दोनों थाना एक दूसरे पर मामला फेंकते रहे। पुलिस के नहीं पहुंचने के कारण करीब तीन घंटा शव सदर अस्पताल में पड़ा रहा और स्वजन परेशान रहे। फिर एसडीपीओ के निर्देश पर नगर थाना पुलिस पहुंची और पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की तबतक शाम हो चुकी थी। अब शाम होने के बाद स्वजनों की परेशानी और बढ़ गई जब चिकित्सक ने बताया कि अब डीएम की अनुमति से पोस्टमार्टम होगा।
डीएम के निर्देश के बाद भी हुई काफी देर
चिकित्सकों ने यह भी बताया कि हत्या का मामला है बिना बोर्ड के पोस्टमार्टम नहीं होगा। स्वजनों ने बताया कि पोस्टमार्टम के लिए डीएम से सपर्क किए तब परेशानी दूर हुई। बताया कि डीएम के निर्देश के बाद भी चिकित्सक
ने आने में काफी विलंब किया। बताया कि सीएम डॉ. अकरम अली को फोन करते रहे पर वे कॉल रिसिव नहीं किए। बता दें कि पोस्टमार्टम कराने में मृतक के स्वजनों की यह परेशानी का पहला मामला नहीं है। यहां दिन हो या शाम शव का पोस्टमार्टम कराने में स्वजनों को जो परेशानी झेलनीपड़ती है वह अगर कोई अधिकारी झेलेंगे तभी पता चलेगा।