औरंगाबाद में अमरूद से भर रही लोगों की जिंदगी में मिठास, आप भी जानिए कैसे इससे बदलें अपनी तकदीर
औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड के दक्षिणी उमगा पंचायत के पितंबरा गांव के किसान बंजर भूमि पर अमरूद की खेती कर रहे हैं। इससे एक ओर हरियाली आई तो दूसरी ओर इन किसानों की अार्थिक स्थिति भी बदली है।
शुभम कुमार, औरंगाबाद। यदि इरादे पक्के हो तो कामयाबी की मंजिल मुश्किल नहीं होती। मदनपुर प्रखंड के दक्षिणी उमगा पंचायत के पितंबरा गांव के किसानों ने इसे सच साबित कर दिया है। बंजर भूमि में इन लोगों हरियाली लाकर अपने जीवन में भी मिठास भर दी है। पितंबरा बिगहा के 13 किसानों ने यहां अमरूद की खेती कर अपनी किस्मत बदली। अब ये दूसरों के लिए भी मिसाल बने हैं। लोग इनसे इस फल की खेती का गुर सीखने पहुंच रहे हैं।
प्रतिवर्ष 90 हजार रुपये तक होती है आमदनी
मदनपुर का यह क्षेत्र नक्सलियों के प्रभाव में था। लोग इधर आना नहीं चाहते थे। लेकिन आज इस इलाके की तस्वीर बदली हुई है। सोहराइ भुइयां, राजेंद्र भुइयां, राजदेव, परमेश्वर, सुखदेव, सुरेश, बिगन, चलित्तर, बाबूलाल, सत्येंद्र, रामाशीष एवं दो अन्य किसानों ने अमरूद की खेती की। करीब 27 एकड़ जमीन में 1200 अमरूद के पौधे लगा दिए। किसानों की माने तो प्रतिवर्ष यहां एक किसान को करीब 90 हजार रुपये की आमदनी होती है। राजेंद्र बताते हैं कि यह सफलता यूं ही नहीं मिली है। इसके लिए सभी ने कड़ी मेहनत की। गर्मी, बरसात एवं ठंड को नहीं देखा। सिंचाई के अभाव में रेगिस्तान दिखने वाले इस इलाके में अरियाली लाने के लिए अपने खेत के बगल में एक गड्ढ़ा खोदा। करीब आधा किलोमीटर दूर पर स्थित झरही नदी से पानी लाकर भरते थे। इस नदी में सालों भर पानी नहीं रहता है। गर्मी के दिनों में पटवन में काफी परेशानी होती थी। इसी पानी से पौधों की प्यास बुझती थी।
दिन-रात पौधों को करते हैं सेवा
किसानों ने अमरूद के बगान में ही झोपड़ी बना ली है। इसी झोपडी में रहकर वे पौधों की देखरेख करते हैं। पौधों को संरक्षित रखना मुख्य उद्देश्य है। बताया कि पूरा जीवन पौधों को संरक्षित करने में लगा दिए हैं। किसानों की माने तो यहां पटवन की परेशानी है। यहां कोई विभागीय अधिकारी नहीं आते। विभाग के द्वारा अनुदान राशि मिले तो और बेहतर तरीके से खेती की जा सकती है।
किसानों को बेहतर खेती के लिए किया जाएगा प्रोत्साहित
जिला कृषि पदाधिकारी अश्विनी कुमार कहते हैं कि अमरूद की खेती आमदनी का बढ़िया स्रोत है। अन्य फलों की तुलना में अमरूद का उत्पादन सस्ता और अासान है। मौसम के अनुरूप फल लगता है। पूंजी भी कम लगती है। सरकार भी बागवानी को बढ़ावा देने के लिए प्रयत्नशील है। पितंबरा के किसानों ने बंजर भूमि को हरा-भरा किया है वह सराहनीय है। अधिकारियों को भेजकर निरीक्षण कराया जाएगा। किसानों को अनुदान राशि दी जाएगी ताकि वे और बेहतर खेती कर सकें।