राष्ट्रप्रेम की भावना के साथ विद्यार्थी करें शोध : सुनील अम्बेकर

गया भारतवर्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। शिक्षकों के ²ढ़ निश्चय के साथ सहभागिता से इस नीति को धरातल पर पूरी कामयाबी के साथ उतारा जा सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 11:46 PM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 11:46 PM (IST)
राष्ट्रप्रेम की भावना के साथ विद्यार्थी करें शोध : सुनील अम्बेकर
राष्ट्रप्रेम की भावना के साथ विद्यार्थी करें शोध : सुनील अम्बेकर

गया : भारतवर्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। शिक्षकों के ²ढ़ निश्चय के साथ सहभागिता से इस नीति को धरातल पर पूरी कामयाबी के साथ उतारा जा सकता है। यह कहना उचित होगा की नई शिक्षा नीति की सफलता मूल रूप से देश के शिक्षकों के ऊपर ही निर्भर करती है। उक्त बातें अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकर ने सीयूएसबी में आयोजित एक वेबिनार में शनिवार को कही। सीयूएसबी के अध्यापक शिक्षा विभाग, शिक्षा पीठ एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में अध्यापक शिक्षा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विषय पर क्षेत्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। विवि के विवेकानन्द सभागार में आयोजित वेबिनार के मुख्य अतिथि सुनील अम्बेकर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के साकारत्मक पहलुओं को साझा किया। इस नीति को सफल बनाने में शिक्षकों की महत्वता को बताते हुए उन्होंने कहा कि वे सशक्त होंगे और उनमें पूर्ण इच्छाशक्ति होगी तभी हम अपनी राष्ट्रीय शिक्षा के सपने को साकार कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चेतना को सजग बनाने वाली शिक्षा की अब तक लगातार अनदेखी होती रही है।

इससे पूर्व वेबिनार का औपचारिक उद्घाटन दीप प्रज्वलन से हुआ। शिक्षा पीठ के अधिष्ठाता प्रो कौशल किशोर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए वेबिनार के विषयवस्तु एवं उद्देश्य से सभागार में मौजूद वक्ताओं, प्राध्यापकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को अवगत कराया। इसके पश्चात सत्र के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर चांद किरण सलूजा ने अपने व्याख्यान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल भावना पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पहली बार यह नीति भारतीयता और राष्ट्रीय चेतना की बात करती है। अपने अध्यक्षीय संबोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरिश्चंद्र सिंह राठौर ने विश्वगुरू भारत के निर्माण की चर्चा की तथा इसके लिए नीति में अध्यापक शिक्षा के दर्शन को भारतीयता से जोड़ने की बात की। कुलपति ने कहा कि धर्म और नैतिकता के बिना भारतीय शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने इस संदर्भ में, अध्यापक शिक्षा के पाठ्यक्रम में इससे संबंधित विषयवस्तु को समाहित करने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर रेखा अग्रवाल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया। मंच संचालन सहायक अध्यापिका डॉ कविता सिंह ने की। इस अवसर पर डॉ. चांद किरण सलूजा, कुलसचिव कर्नल राजीव कुमार सिंह, डॉ0 रवि कांत, डॉ0 तपन कुमार बसंतिया आदि के अलावे पदाधिकारी, शिक्षक एवं छात्र सभागार में मौजूद थे।

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