गया शहर में कचरा निष्पादन के लिए स्थापित हुआ प्रदेश का पहला प्लांट

संजय कुमार गया। शहर में निकलने वाले शत-प्रतिशत कचरे के निष्पादन के लिए प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट स्थापित हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 11:37 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 11:37 PM (IST)
गया शहर में कचरा निष्पादन के लिए स्थापित हुआ प्रदेश का पहला प्लांट
गया शहर में कचरा निष्पादन के लिए स्थापित हुआ प्रदेश का पहला प्लांट

संजय कुमार, गया। शहर में निकलने वाले शत-प्रतिशत कचरे के निष्पादन के लिए प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट गया शहर में स्थापित हो गया है। इस प्रोजेक्ट की कुछ मशीनें चालू हो गई हैं, जबकि कुछ मशीनें अगले दो महीने में चालू हो जाने की उम्मीद है। मशीनें स्थापित करने का कार्य भोपाल की एक निजी कंपनी कर रही है। नगर निगम ने इस मद में करीब 30 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च की है।

बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत अब नगर निगमों को शहरों से निकलने वाले शत-प्रतिशत कूड़े-कचरे का निष्पादन हर हाल में करना है। निष्पादन नहीं होगा तो केंद्र की ओर से मिलने वाली सहायता राशि बंद हो जाएगी। इसी के मद्देनजर गया नगर निगम ने शहर के नैली स्थित डंपिग ग्राउंड पर कई तरह की मशीनें लगवाई हैं। इन मशीनों के जरिए कचरे का शत-प्रतिशत निष्पादन किया जाएगा। भोपाल की निजी कंपनी सूखे व गीले दोनों प्रकार के कचरे का निष्पादन करेगी। डंपिग ग्राउंड पर स्थापित मशीनों से कचरे का निष्पादन शुरू हो गया है। प्रोजेक्ट इंचार्ज दर्शन जैन ने कहा, बिहार में गया पहला ऐसा शहर है, जहां कचरे के निष्पादन के लिए कई मशीनें लग गई हैं। कुछ मशीनें संचालित हैं तो कुछ अगले महीने चालू होंगी। आकार के अनुसार कचरे को किया जा रहा है अलग :

मशीन द्वारा आकार के अनुसार कचरे को अलग किया जा रहा है। मशीन से दो तरह का आरडीएफ और 75 मिमी. डाउन साइज का कचरा निकलता है। आरडीएफ कचरा केवल जलाने के काम में आता है। इस कारण इसे सीमेंट फैक्ट्री में भेजा रहा है, जहां यह कोयले का विकल्प बनेगा। मशीन प्रत्येक दिन 150 टन आरडीएफ कचरा अलग कर रही है। वहीं 75 मिमी. डाउन साइज के कचरे को गीले कचरे में मिलाकर जैविक खाद तैयार की जाएगी। इसके लिए छह मशीनें लगी हैं। सूखे कचरे को दस प्रकार से किया जा रहा अलग-अलग :

सूखे कचरे को दस प्रकार से अलग किया जा रहा है। इसे छांटने का काम महिलाएं कर रही हैं। इसमें प्लास्टिक, कांच, प्लास्टिक की बोतलें, कापी-किताब के गत्ते, प्लास्टिक के गिलास, लोहा, सोल स्टील, सॉस बोतल, कांच का गिलास, गुड़िया आदि हैं। इन सभी सामग्री को बेचा जा रहा है। प्रत्येक दिन एक ट्रैक्टर सामग्री कबाड़ में बेची जा रही है। 20 जनवरी से पूरी तरह चालू होगा कार्य :

पूरी तरह से कचरे का निष्पादन 20 जनवरी से चालू होगा। डंपिंग ग्राउंड पर कई मशीन लग गई हैं, कई अभी लगने वाली हैं। सभी मशीनें चालू होने पर शहर से निकलने वाले कचरे का पांच से छह घंटे में निष्पादन होगा। इससे निगम को अच्छी आय होगी। कचरा निष्पादित होने से शहर भी सुंदर व स्वच्छ दिखेगा। कचरा निष्पादन के लिए गया में प्रदेश का पहला प्रोजेक्ट लगा है। यह प्रोजेक्ट दो महीने में पूरी तरह से काम करना प्रारंभ कर देगा। इससे शहर में कचरे के ढेर नहीं दिखाई पड़ेंगे।

-सावन कुमार, नगर आयुक्त

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