बेजुबानों के इलाज के लिए डॉक्‍टरों की कमी, भगवान भरोसे पशुओं का इलाज, कैमूर में 21 वेटनरी हॉस्पिटल

लोग तकलीफ होने के बाद अस्पतालों में पहुंच पर अपना दर्द चिकित्सक के सामने बयां करने लगते हैं। बेजुबानों का कैसे इलाज हो जबकि जिले में वेटनरी डॉक्‍टरों की घोर कमी है। आलम यह है कि पशुओं के टीकाकरण के लिए निजी लोगों को रखकर टीका लगवाना पड़ रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 07:53 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 07:53 AM (IST)
बेजुबानों के इलाज के लिए डॉक्‍टरों की कमी, भगवान भरोसे पशुओं का इलाज, कैमूर में 21 वेटनरी हॉस्पिटल
कैमूर के पशु अस्‍पतालों में डॉक्‍टरों की कमी। जागरण आर्काइव।

संवाद सहयोगी, भभुआ। लोग तकलीफ होने के बाद अस्पतालों में पहुंच पर अपना दर्द चिकित्सक के सामने बयां करने लगते हैं। बेजुबानों का कैसे इलाज हो, जबकि जिले में वेटनरी डॉक्‍टरों की घोर कमी है। आलम यह है कि पशुओं के टीकाकरण के लिए निजी लोगों को रखकर टीका लगवाना पड़ रहा है। चिकित्सकों की घोर कमी के कारण कई जगहों के अस्पताल बंद होने की कगार पर है।

डॉक्‍टरों की कमी के कारण दूसरे पशु अस्पतालों के चिकित्सकों को सप्ताह में समन्वय कर दोनों जगहों को देखना पड़ रहा है। पशुओं की दवाएं, वैक्सीनेशन आदि सभी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए भी कर्मियों की कमी है। एक तरफ सरकार सूबे में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है। वहीं, दूसरी तरफ पशुओं के इलाज के लिए पशु अस्पतालों में चिकित्सक ही नहीं हैं।

ऐसे में चिकित्सकों की कमी का खामियाजा कहीं ना कहीं पशुपालकों पर भारी पड़ रहा है। जिससे जिले के पशुओं का जीवन दांव पर लगा हुआ है, सरकार पशुओं को निरोग रखने के लिए हर वर्ष भारी-भरकम राशि खर्च करती है। बावजूद यहां के पशुओं को निरोग ङ्क्षजदगी नसीब नहीं हो पा रही है। चिकित्सकों व कर्मियों की कमी के कारण पशुपालकों को वह सुविधा नहीं मिल पाती। जिसका विभाग दावा करता है।

भले ही यहां 24 घंटे पशुओं के इलाज की व्यवस्था की बात तो कही जाती है, परंतु चिकित्सकों की कमी के कारण यहां पशुओं के इलाज की व्यवस्था समुचित नहीं हो पा रही है । चिकित्सकों की कमी के कारण गांव में कई पशु बीमारी के चलते दम तोड़ देते हैं। जिले में 21 जगहों पर पशु अस्पताल है। कई जगहों पर चिकित्सक व कर्मियों की कमी से भवन में ताला लटका हुआ है। फिलहाल प्रभार के चिकित्सकों से काम चलाया जा रहा है।

इस कारण पशुपालकों को अपने बीमार पशुओं का इलाज करवाने के लिए दूर के पशु अस्पतालों में ले जाना पड़ता है, या फिर निजी पशु चिकित्सकों को ज्यादा फीस देकर इलाज करवाना पड़ता है, खासकर कई अस्पतालों में परिचारी का पद रिक्त रहने के कारण साफ-सफाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो पाती है।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

जिला पशुपालन पदाधिकारी अरविंद कुमार सिन्‍हा ने कहा कि कैमूर में पशु चिकित्सकों की कमी को लेकर विभाग को लिखा गया है। चिकित्सक व अन्य कर्मियों की आ जाने के बाद पशुओं का इलाज व टीकाकरण सुचारू रूप से होने लगेगा। फिलहाल कई जगहों पर पशु चिकित्सकों को प्रभार दिया गया है।

यहां हैं वेटनरी हॉस्पिटल

भभुआ, मोहनियां, रामगढ़, नुआंव, दुर्गावती, कुदरा, भगवानपुर, अधौरा, चैनपुर, चांद, रामपुर, सोनहन, बसहीं, कुड़ासन, खनेठी, खरेंदा, जैतपुरा कला, बिउर, हाटा, पानापुर, कलानी।

यहां नहीं हैं डॉक्‍टर और कर्मी

खनेठी, खरेंदा, जैतपुरा कला, बिउर, हाटा, पानापुर, कलानी, कुड़ासन, माहेनियां, नुआंव, चैनपुर, चांद।

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