सात बच्चियों के पास न घर, ना खाने का इंतजाम, वृद्ध दादा दादी बने पालनहार, सीडब्लयूसी ने मांगी जांच रिपोर्ट

डेहरी प्रखंड के आयरकोठा के पास स्थित चिलबिला मौडिहां जाने वाली सड़क पर भुईंयाटोला में रह रही सात बच्चियों के पास न तो खाने को अनाज है न ही रहने को घर। इन बच्चियों के जीवन में स्याह अंधेरा छा गया।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Sun, 14 Feb 2021 11:08 AM (IST) Updated:Sun, 14 Feb 2021 11:08 AM (IST)
सात बच्चियों के पास न घर, ना खाने का इंतजाम, वृद्ध दादा दादी बने पालनहार, सीडब्लयूसी ने मांगी जांच रिपोर्ट
अपने दादा और दादी के साथ बच्चियां। जागरण।

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑन सोन (सासाराम)। डेहरी प्रखंड के आयरकोठा के पास स्थित चिलबिला मौडिहां जाने वाली सड़क पर भुईंयाटोला में रह रही सात बच्चियों के पास न तो खाने को अनाज है न ही रहने को घर। इन बच्चियों के जीवन में स्याह अंधेरा तब आया जब पौने दो साल पूर्व महज एक माह के अंतराल में मां बाप दोनों का साया उठ गया। पिता के नाम से जारी राशन कार्ड पर मिलने वाला अनाज बंद हो गया। वहीं स्वीकृत इंदिरा आवास भी रद हो गया।अब ये बच्चियां जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचे अपने दादा दादी के साथ रह रही हैं। उन्हे एक ही भय कि दादा दादी के बाद कौन पालनहार होगा। बाल कल्याण समिति (सीडब्लूसी ) ने इस मामले में संज्ञान ले आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कहा है।

सामाजिक कार्यकर्ता व बाल अधिकार संरक्षण पर कार्य करने वाले संतोष उपाध्याय ने बताया कि सरकार इस तरह के बच्चों के लिए परवरिश तथा स्पॉन्शरशीप योजना चला रही है। आश्चर्य कि जवाबदेह अधिकारी इन योजनाओं का लाभ अभीत्क नही दिए।बताया कि भुईया टोला के रहने वाले मनोज राम की मौत 23 जुलाई 2019 को तथा उनकी पत्नी प्रमिला की मौत 29 अगस्त 2019 को बीमारी के कारण हो गई। उनकी सात बेटियां हैं। बड़ी बेटी रूबी कुमारी 16 वर्ष, रिंकी 14 वर्ष, मालती 10 वर्ष, जुड़वा बहन पूनम वी चिंता छह वर्ष, खुशी कुमारी पांच वर्ष तथा सोनी कुमारी चार वर्ष की है। इसमें दो बच्चियों को आंगनबाड़ी से तथा एक को विद्यालय से अनाज मिलता है।

अनुसूचित जाति के इस  छोटे टोले में उनकी देखरेख करने वाले सिर्फ दादा-दादी बचे हैं। उन्होंने बताया कि ये सभी बच्चे झोपड़ी में रहते हैं। जिनकी देखरेख फिलहाल उनके दादा प्रसाद भुइयां और दादी रामकली कर रही हैं। लेकिन, इस परिवार को सरकारी योजनाओं का किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल पा रहा है। संतोष उपाध्याय ने बताया कि इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों व बाल कल्याण समिति से की थी। जिसके बाद सीडब्लूसी (बाल कल्याण समिति) ने  इस मामले में संज्ञान लिया। उन्होंने परवरिश योजना तथा स्पॉन्शरशिप के तहत इन सभी की जिम्मेदारी लेने की मांग बाल कल्याण समिती से की है।

परवरिश योजना के तहत नजदीकी अभिभावक जो बच्चों को पाल रहे हैं, उन्हें एक हजार रुपए प्रति बच्चा प्रति माह देने का प्रावधान है। वहीं स्पॉन्शरशिप के तहत दो हजार रुपए दिए जाते हैं। बाल कल्याण समिती के अध्यक्ष ने जिला बाल संरक्षण ईकाई और चाइल्ड लाइन को इसकी सामाजिक जांच कराने का आदेश दिया है। जिसकी रिपोर्ट तीन दिनों के अंदर बाल कल्याण समिती को सौंपनी है। उन्होंने बताया कि इनमें से दो बच्चियों को पास के आंगनबाड़ी में भेजा जा रहा है।

बच्चों के पिता मृतक मनोज राम के नाम पर इंदिरा आवास का आवाटंन भी रद हो गया है। इसमें सरकारी अधिकारी तकनीति परेशानियों का हवाला दे रहे हैं। एक बच्ची जो चिलबिला स्कूल में तीसरे क्लास की छात्रा है उसे स्कूल की तरफ से केवल राशन का आवंटन हो रहा है। इन सभी के पास खाने का पूरा इंतजाम नहीं है। कहा कि जवबदेह पंचायत प्रतिनिधि व कर्मी तथा बीडीओ की लापरवाही भी सामने आई है। बाल कल्याण समिति के समक्ष रिपोर्ट आने के बाद बच्चियों को न्याय दिलाने के लिए वे प्रयत्न करेंगे।

chat bot
आपका साथी