गया के महाबोधि मंदिर में इस तोरमा को देखकर हो जाएंगे मुग्‍ध, यकीन नहीं हो तो आकर देख लीजिए

महाबोधि मंदिर में तिब्बती पूजा के दौरान आकर्षक तोरमा लोगों का ध्‍यान खींच रहे हैं। मालूम हो कि तिब्बती पूजा में तंत्र वाद को दिया बढ़ावा दिया जाता है। इसके लिए घी मख्खन मिला हुआ तोरमा बनाया जाता है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 07:28 AM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 07:28 AM (IST)
गया के महाबोधि मंदिर में इस तोरमा को देखकर हो जाएंगे मुग्‍ध, यकीन नहीं हो तो आकर देख लीजिए
बोधिवृक्ष की छांव में बनाया गया तोरमा। जागरण

विनय कुमार मिश्र, बोधगया। बोधगया स्थित विश्‍वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में तिब्बतियों के विभिन्न पंथ की ओर से पूजा की जा रही है। विश्‍व शांति की कामना से की जा रही यह पूजा मूलतः तंत्र वाद पर आधारित होता है। पूजा आयोजन स्थल पर सजा कर रखा जाने वाला तोरमा हर किसी का ध्‍यान अपनी ओर खींच लेता है। लोग देखते ही रह जाते हैं। 

क्‍या होता है तोरमा, कैसे होता है तैयार

तोरमा एक तरह की पूजा सामग्री होती है। इसे घी, मक्‍खन मिले अनाज से तैयार सत्तू और मैदा का मिश्रण कर बनाया जाता है।रंग-बिरंगे तोरमा पर तिब्बती बौद्ध धर्म में तंत्र से जुड़े देवी-देवताओं का चित्र उकेरा जाता है। यह तंत्र का प्रतीक होता है। इसे प्रशिक्षित बौद्ध लामा बहुत शुद्धता से तैयार करते हैं। इसे धूप से बचाकर रखा जाता है।  तोरमा तीन प्रकार का बनाया जाता है। भगवान को समर्पित करने के लिए खेशे तोरमा होता है। वहीं प्रसाद स्वरूप वितरण के लिए छोंक तोरमा बनाया जाता है। वहीं देवी-देवताओं को प्रदर्शित करने के लिए बड़े-बड़े तोरमा तैयार होते हैं। प्रायः बड़े तोरमा के सामने खेशे और छोंग तोरमा को रखा जाता है। 

तिब्‍बती बौद्ध करते हैं देवी तारा की साधना
प्राचीन तिब्बत मंदिर के प्रभारी लामा अमजी बताते है कि जिस तरह भारतीय तंत्र साधक शिव व काली की पूजा करते हैं। उसी तरह तिब्बती बौद्ध देवी तारा को शक्ति व तंत्र की देवी के रूप में पूजते हैं। तिब्बती बौद्ध लामाओं द्वारा तारिणी तंत्र का प्रयोग किया जाता है। वे इससे साधना कर अद्भुत अलौकिक शक्ति प्राप्त करने का अनुभव करते हैं। तारिणी तंत्र में देवी तारा की साधना की जाती है। वे कहते है कि तिब्बत में निगमा, शाक्या, गेलुक और कग्यू संप्रदाय हैं, वे सभी वज्रयान के तंत्र यान से प्रभावित हैं। सभी पंथ में बनाए जाने वाले तोरमा का डिजाइन अलग अलग होता है। यही कारण है कि बोधगया में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली तिब्बतियों की पूजा में इसका अलग अलग रूप देखने को मिलता है। इस बार तिब्बतियों के निगमा पंथ की पूजा में छोटे-बड़े तोरमा आकर्षक ढंग से सजा कर बोधिवृक्ष की छांव में रखे गए हैं।
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