प्रावि गोविदपुर का भवन जर्जर, बरामदे में हो रही पढ़ाई
गया। नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत वार्ड नंबर पांच में स्थित प्राथमिक विद्यालय गोविदपुर का भवन जर्जर हालत में है। छात्र बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं। यहां नामांकित बच्चों की कुल संख्या 81 है। विद्यालय में एक प्रधान शिक्षिका और एक सहायक शिक्षिका हैं। यहां पर मात्र दो कमरे हैं वे भी जर्जर स्थिति में हैं।
गया। नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत वार्ड नंबर पांच में स्थित प्राथमिक विद्यालय गोविदपुर का भवन जर्जर हालत में है। छात्र बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं। यहां नामांकित बच्चों की कुल संख्या 81 है। विद्यालय में एक प्रधान शिक्षिका और एक सहायक शिक्षिका हैं। यहां पर मात्र दो कमरे हैं वे भी जर्जर स्थिति में हैं।
बिहार सरकार के द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। नगर निगम क्षेत्र के कई ऐसे विद्यालय हैं जिनके भवन जर्जर और बदहाल हालत में हैं। वहीं, बारिश होने पर छत से पानी टपकता रहता है। इससे कमरे में बच्चों बैठाने की जगह नहीं होती है। दहशत में बच्चे एक कोने में बैठकर पढ़ाई करते हैं। बारिश के दिनों में स्कूल जाने के लिए सोचना पड़ता है।
विद्यालय की प्रधान शिक्षिका मंजू कुमारी का कहना है कि विद्यालय जर्जर भवन में विद्यालय का संचालन हो रहा है। भवन जर्जर रहने के कारण हमेशा डर कर पढ़ाया जाता है। विद्यालय बदहाल और अव्यवस्थित हालत में संचालन करने को शिक्षक मजबूर हैं। इसके बाद भी जर्जर भवन के मरम्मत के लिए कोई पहल विभाग के अधिकारियों ने नहीं की। विद्यालय के चारों ओर पानी भर जाता है। विद्यालय आने के लिए रास्ता नहीं है।
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विद्यालय में शौचालय की स्थित बदहाल, हैंडपंप खराब
बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय की भवन जर्जर और बदहाल हालत स्थिति में है। यहां कई दिनों से हैंडपंप खराब पड़ा है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अबतक पहल नहीं किया है। साथ ही शौचालय की संख्या एक है वह भी बदहाल स्थिति में है और बच्चों को विद्यालय आने के लिए रास्ता नहीं है। छात्रों को खेत से होकर जाना पड़ता है। गुणवत्तापरक शिक्षा और सुविधाओं के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है। इसके बावजूद विद्यालयों के भवनों को दुरुस्त नहीं कराया जा रहा। नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत ज्यादातर प्राथमिक व मध्य विद्यालय विलंब से खुलने व समय से पहले बंद होना आम बात है।