ओमिक्रोन वैरिएंट का पता लगाने के लिए गया से भुवनेश्वर की जांच लैब में भेजे जा रहे सैंपल

ओमिक्रोन वैरिएंट तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसके फैलने की क्षमता अधिक है। दुनिया भर के विज्ञानी अध्ययनशील हैं। मेडिकल अस्पताल में इस नए वैरिएंट की जांच की सुविधा नहीं है। ओमिक्रोन वैरिएंट का सामान्य लैब से पता नहीं लगाया जा सकता है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 01:20 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 01:20 PM (IST)
ओमिक्रोन वैरिएंट का पता लगाने के लिए गया से भुवनेश्वर की जांच लैब में भेजे जा रहे सैंपल
ओमिक्रोन वैरिएंट की जांच करने के लिए भुवनेश्‍वर भेजे जा रहे सैंपल। सांकेतिक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, गया। कोरोना महामारी के दौर में इसका नया वैरिएंट ओमिक्रोन सबकी चिंता बढ़ाए है। मगध मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के वीआरडीएल लैब के चिकित्सक डा. सुनील कुमार बीते दो साल से लगातार कोविड-19 के सैंपल की जांच में जुटे हैं। वह बताते हैं कि ओमिक्रोन वैरिएंट तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसके फैलने की क्षमता अधिक है। इस बारे में दुनिया भर के विज्ञानी अध्ययनशील हैं। मेडिकल अस्पताल में इस नए वैरिएंट की जांच की सुविधा नहीं है। ओमिक्रोन वैरिएंट का सामान्य लैब से पता नहीं लगाया जा सकता है। गया से सैंपल को ओडिशा स्थित भुवनेश्वर रिसर्च लैब में भेजा जाता है। जहां जीनोम सीक्वेंसिंग तकनीक से उसकी जांच होती है। आरएनए वायरस के जीन का पता लगाया जाता है। गया से अभी तक एकमात्र मंगोलियाई सुरक्षाकर्मी, जो पिछले दिनों आरटीपीसीआर रिपोर्ट में कोविड संक्रमित पाया गया था, उसका सैंपल भुवनेश्वर भेजा गया है। डब्ल्यूएचओ के सहयोग से सैंपल को जांच के लिए भेजा जाता है। इधर, आइजीआईएमएस पटना में जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच प्रक्रिया शुरू होने वाली है। तब गया से सैंपल वहीं भेजा जाएगा। 

मेडिकल के वीआरडीएल लैब में हर दिन ढाई हजार आरटीपीसीआर जांच

मगध मेडिकल अस्पताल के वीआरडीएल लैब में इन दिनों हर रोज औसतन ढाई हजार से तीन हजार सैंपल की आरटीपीसीआर जांच हो रही है। राहत की बात यह है कि कोरोना के केस सामने नहीं आ रहे हैं। जून माह से कोरोना संक्रमण की रफ्तार पूरी तरह से थमी हुई है। बावजूद इसके एहतियातन रैपिड एंटीजन किट से जांच के बाद उनमें से ज्यादातर की आरटीपीसीआर जांच होती है। मेडिकल अस्पताल की लैब में इस जांच के काम में डा. सुनील कुमार, डा. मनोज कुमार, डा. अनिल कुमार व डा. रवि कुमार निरंतर सहयोग दे रहे हैं। कोरोना काल में जब संक्रमण चरम पर था, उस समय में भी ये सभी डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहे थे।

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