औरंगाबाद में उमगा पहाड़ की चोटी पर स्थित सहस्त्रलिंगी शिव मंदिर, कामदेव ने यहीं शिव पर चलाया था बाण

उमगा पहाड़ पर सहस्त्रलिंगी शिव मंदिर लाखों वर्ष पुराना है। इस मंदिर को कामदेव और शिव भगवान को जोड़कर देखा जाता है। कामदेव इसी स्थान पर पंच पुष्पों से भगवान शिव की तपस्या भंग करने को लेकर बाणण का प्रहार किया था।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 11:38 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 11:38 AM (IST)
औरंगाबाद में उमगा पहाड़ की चोटी पर स्थित सहस्त्रलिंगी शिव मंदिर, कामदेव ने यहीं शिव पर चलाया था बाण
उमगा पहाड़ी की चोटी पर स्थित सहस्त्रलिंगी शिव, जागरण फोटो।

मदनपुर (औरंगाबाद), शिवदीप ठाकुर।  जिले के मदनपुर प्रखंड क्षेत्र के ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल उमगा पहाड़ श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। पहाड़ की चोटी पर स्थित सहस्त्रलिंगी शिव मंदिर में शिवभक्तों की जन सैलाव उमड़ पड़ता है। पूरे सावन माह में यहां श्रद्धालुओं के आगमन से पहाड़ गुंजायमान रहता है।

मंदिर का इतिहास

उमगा पहाड़ पर सहस्त्रलिंगी शिव मंदिर लाखों वर्ष पुराना है। इस मंदिर को कामदेव और शिव भगवान को जोड़कर देखा जाता है। कामदेव इसी स्थान पर पंच पुष्पों से शिव की तपस्या भंग करने को लेकर वाण का प्रहार भगवान शिव पर किया था। इसका जीता जागता उदाहरण पहाड़ के तलहटियों में बसा हुआ ग्राम मदनपुर से प्रतीत होता है। इसलिए कि शास्त्रों में वर्णित मदन नाम से कामदेव को पुकारा जाता है।

मंदिर की विशेषता

इस उमगा पहाड़ पर सहस्त्रलिंगी शिव मंदिर लाखों वर्ष पुराना है। इस मंदिर को कामदेव और शिव भगवान को जोड़कर देखा जाता है। कामदेव इसी स्थान पर पंच पुष्पों से शिव की तपस्या भंग करने को लेकर वाण का प्रहार भगवान शिव पर किया था। शिव मंदिर में एक बार रुद्राभिषेक या एक बार पूजा करने से एक हजार रुद्राभिषेक करने का फल प्राप्त होता है। पर्वत शिखर पर मंदिर रहने के कारण उक्त मंदिर का दर्शन पूजन मात्र करने से ही समस्त ताप, दैहिक, दैविक, भौतिक सभी तापों से निवारण हो जाता है। जिस तरह बेल वन में या गुफा में या पर्वत शिखर पर अगर कोई हवन, पूजा व आहूति करता है तो शिव प्रसन्न होते हैं। उसे शक्ति मिलती है।

क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी

पुजारी बालमुकुंद पाठक ने बताया कि धार्मिक दृष्टिकोण से उक्त स्थल काफी महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में पूरे सावन माह में जल एवं बेल पत्र एवं जल चढ़ाने को लेकर तांता लगा रहता है। मुख्य तिथि सोमवारी, त्रयोदशी, पंचमी इन तिथियों में यहां पूजन का महत्व काफी बढ़ जाता है। जब मैथुनी सृष्टि के लिए भगवान शिव ने जब  सहस्त्रलिंगी धारण किया, तब से सहस्त्रङ्क्षलगी शिव ( महादेव) का नामकरण हो गया। उक्त पहाड़ स्थित  सहस्त्रलिंगी शिव मंदिर की काफी महिमा है।

chat bot
आपका साथी