Rohtas News: शहर की पुरानी जीटी रोड बना कूड़े का डंपिंग जोन, सफाई पर लगा ग्रहण

पुरानी जीटी रोड जिला मुख्यालय वाले इस शहर की लाईफ लाइन मानी जाती है। शहर के व्यसायिक केंद्र धर्मशाला से लेकर लगभग सारे महत्वपूर्ण दफ्तर और कचहरी भी इसी मुख्य सड़क पर ही स्थित है। शहरवासियों को जरूरी सामान लेने के लिए यहां आना मजबूरी है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 04:36 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 04:36 PM (IST)
Rohtas News: शहर की पुरानी जीटी रोड बना कूड़े का डंपिंग जोन, सफाई पर लगा ग्रहण
पुरानी जीटी रोड को नगर निगम ने बनाया डंपिंग यार्ड। सांकेतिक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, सासाराम। पुरानी जीटी रोड जिला मुख्यालय वाले इस शहर की लाईफ लाइन मानी जाती है। शहर के व्यसायिक केंद्र धर्मशाला से लेकर लगभग सारे महत्वपूर्ण दफ्तर और कचहरी भी इसी मुख्य सड़क पर ही स्थित है। अमूमन शहरवासियों की हर गतिविधियों को पूरा करने के लिए इस सड़क पर आना मजबूरी है। हैरानी इस बात की है कि इसी पुरानी जीटी का नगर निकाय ने फिलहाल कूड़ा डंपिंग जोन बना डाला है। शहर के नेहरू शिशु उद्यान के गेट से चंद गज की दूरी पर स्थित पुरानी जीटी रोड पर कूड़ा के भारी मात्रा में लगे ढ़ेर को देख आप भी सकते में पड़ जाएंगे। पुरानी जीटी रोड से होकर आते- जाते लोग कचरे के ढ़ेर से उठ रहे संड़ाध के कारण नाक पर रूमाल रख आने जाने के  लिए विवश है।

डंपिंग जोन के अभाव में आसपास के कई मोहल्ले से निकलने वाले कूड़ा को नगर निगम के कर्मी डंपिंग कर रहे है। कई टन से अधिक की मात्रा में फैले कचरा को देख कर भी कोई अधिकारी भी इसकी सुधि लेने को तैयार नहीं है। जानकार बताते हैं कि आधुनिक शहरी आधारभूत संरचना का महत्वपूर्ण पहलू कूड़ा निस्तारण हैं। इसका संबंध सिर्फ सफाई और कूड़ेदान तक ही नहीं बल्कि पर्यावरण, जन स्वास्थ्य व सिविक सोसाइटी भी इसके दायरे में आते हैं।  साफ है कि नगर निगम की श्रेणी में आ चुके तीन लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर में कूड़े के अंबार बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन निस्तारण का स्तर निम्न है।

आधे कूड़े का उठाव नहीं

शहरी विकास क्षेत्र में काम करने वाली संस्था डीएफआइडी के सर्वेक्षण बताते हैं कि यहां प्रतिदिन लगभग 80 मीट्रिक तन कूड़ा का उत्पादन हो रहा है परंतु आधे से भी कम का उठाव हो पाता है। 40 फीसद कूड़े का उठाव नहीं हो पाता है। उठाए गए कूड़े की डंपिंग भी एक समस्या है। कूड़ा फेंकने के लिए डंपिंग स्टेशन नहीं होने के कारण कूड़ा को शहर और उसके आसपास के इलाकों में फेंकना पड़ता है।  ऐतिहासिक धरोहर की श्रेणी में आने वालेेे शेरशाह मकबरा के आसपास काफी दिनों से कूड़ा फेंका जा रहा था। इस मामले को ले शहरा के जागरुक लोगों ने जिला लोक शिकायत निवारण में परिवाद दायर कर संवेदनहीन हो चुके सरकारी तंत्र की कुंभकर्णी तंद्रा को तोडऩे का प्रयास भी किया था।

कहां है गतिरोध

नगर परिषद से निगम बनने के बाद भी बढ़ते कूड़े के बीच संसाधन का घोर अभाव है । डोर टू डोर कूड़ा उठाव के उद्देश्य से बनी योजना अब पूरी तरह से फेल है। डोर टू डोर कूड़ा उठाने की योजना वर्तमान समय में सपना बना हुआ है।

शहर की वर्तमान स्थिति

कूड़ा उत्पादन:- 70- 80 टन, निस्तारण: 40 प्रतिशत, सामुदायिक डस्टबीन: 60, ट्रैक्टर 05,

जेेसीबी: 02, एक खराब पड़ा, प्रेशर मशीन- एक, कचरा उठाने वाले आटो- 12

कहते हैं अधिकारी

नगर आयुक्‍त शेखर आनंद ने बताया कि उपलब्ध संसाधन व सफाई कर्मियों के सहयोग से शहर को स्वच्छ रखने का प्रयास किया जा रहा है। समय-समय पर नगर की सफाई व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है। बोर्ड के भंग हो जाने के बाद कूड़ा उठाव के लिए संसाधन बढ़ाने की दिशा में ठोस पहल करने का प्रस्ताव बनाया गया है। उनकी मानें तो डंपिंग जोन बनाने से लेकर शहर की सफाई के लिए एनजीओ चयन की दिशा में कार्रवाई की जा रही है।

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