सासाराम सांसद छेदी पासवान ने लोकसभा में उठाया आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र का मुद्दा, जानिए क्‍या है मांग

सांसद ने बताया कि इस क्षेत्र के गरीब पिछड़े एवं आदिवासियों की बड़ी आबादी विकास की रोशनी से वंचित है। उन्होंने सदन से प्राथमिकता के आधार पर लंबे समय से इस क्षेत्र की लोगो की मांग की ओर ध्‍यान देने के लिए संबंधित मंत्रालय से आग्रह किया

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:22 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 02:18 PM (IST)
सासाराम सांसद छेदी पासवान ने लोकसभा में उठाया आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र का मुद्दा, जानिए क्‍या है मांग
बिहार के सासाराम सांसद छेदी पासवान की तस्‍वीर।

डेहरी ऑन-सोन (रोहतास), संवाद सहयोगी। सासाराम जिले के डेहरी ऑन सोन अनुमंडल क्षेत्र के कैमूर पहाड़ी पर जाने के लिए एकमात्र रास्ता रोहतास-अधौरा मार्ग है। इसके कालीकरण किए जाने का मुद्दा सांसद छेदी पासवान (MP Chhedi Paswan) ने लोकसभा (Parliament) में उठाया है।

सांसद ने बताया कि  सासाराम संसदीय क्षेत्र के अकबरपुर रोहतास से अधौरा तक आवागमन के लिए एक भी सड़क नहीं है। लोग उबडख़ाबड़ वन पथ के सहारे आते जाते है। यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है। राज्य के इस पिछड़े एवं सुदूर इलाके में विकास को गति देने के लिए सड़क का निर्माण अति आवश्यक है।

लंबे समय से है मांग

उन्‍होंने कहा कि अकबरपुर से अधौरा तक सड़क निर्माण की प्रक्रिया लंबे समय से चली आ रही है, परंतु वन्य प्राणी अभ्यारण्य के प्रतिबंधों के कारण निर्माण कार्य बाधित है। फलस्वरूप इस क्षेत्र के गरीब पिछड़े एवं आदिवासियों की बड़ी आबादी (A large population of poor, backward and tribals)  विकास की रोशनी से वंचित है। उन्होंने सदन से प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र इस पथ के निर्माण (Road Construction) के लिए संबंधित मंत्रालय को आदेश निर्गत करने का आग्रह किया है, जिससे रोहतास व कैमूर जिला के कैमूर पहाड़ी पर बसी 55 हजार आबादी को आवागमन की सुविधा मिल सके। 

2018 में ही मिला एनओसी, मगर निर्माण अधर में

बताया कि रोहतास-अधौरा मार्ग निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार (Ministry of Forest and Enviornment) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (No objection certificate) वर्ष 2018 में ही प्राप्त हो गया है। साथ ही पथ निर्माण के लिए प्राक्कलन (estimate) निर्माण कर पथ निर्माण विभाग के डेहरी कार्यालय द्वारा राज्य सरकार को वर्ष 2020 में ही भेजा गया है। जिसकी तकनीकी स्वीकृति के लिए राज्य सरकार केंद्र को भेज चुकी है। कतिपय कारणों से सड़क निर्माण कार्य प्रभावित है।

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