सोन नहरों के आधुनिकीकरण का इंतजार कर रहे रोहतास के किसान, 'टेल एन्ड' तक नहीं पहुंच रहा पानी

डेढ़ शताब्दी पुराने सोन नहर प्रणाली से किसानों की आवश्यकता के अनुरूप पानी की आपूर्ति तकनीकी व एग्रोनोमिकल कारणों से सम्भव नहीं हो पा रहा है। कृषि की सघनता में बृद्धि व किसानों के विकसित तकनीक अपनाये जाने के कारण नहरों से पानी की मांग में अत्यधिक बृद्धि हुई है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 12:25 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 12:25 PM (IST)
सोन नहरों के आधुनिकीकरण का इंतजार कर रहे रोहतास के किसान, 'टेल एन्ड' तक नहीं पहुंच रहा पानी
सोन नहर प्रणाली से किसानों को नहीं हो रही जलापूर्ति। जागरण।

संवाद सहयोगी, डेहरी ऑनसोन (सासाराम)। डेढ़ शताब्दी पुराने सोन नहर प्रणाली से किसानों की आवश्यकता के अनुरूप पानी की आपूर्ति तकनीकी व एग्रोनोमिकल कारणों से सम्भव नहीं हो पा रहा है। कृषि की सघनता में बृद्धि व किसानों के विकसित तकनीक अपनाये जाने के कारण नहरों से पानी की मांग में अत्यधिक बृद्धि हुई है। जिसकी पूर्ति 150 वर्ष पुरानी नहर प्रणाली के रूपांकित क्षमता से नहीं हो पा रही है। काल क्रम में नहरे संरचनाएं क्षतिग्रस्त हुई है। जिसके सुधार की मांग लंबे अर्से से किसान कर रहे हैं।

सोन नहर आधुनिकरण की शुरुआत

सोन कमांड क्षेत्र के चतुर्दिक विकास वअर्थव्यवस्था के मेरुदंड के रूप में इस योजना काल कलवित होने से बचाने के उद्देश्य से नहरों के आधुनिकीकरण को 1997 में योजना तैयार की गई। इस योजना के तहत इंद्रपुरी बराज के पास अतिरिक्त शीर्ष नियामक का निर्माण, नहरो के बांधों का सुदृढ़ीकरण, कुछ हिस्सों में लाइनिंग, क्षतिग्रस्त संरचनाओं का पुनर्निर्माण, अतिरिक्त नई संरचनाओं का निर्माण, पूर्वी एवं पश्चिमी  उच्चस्तरीय नहर प्रणालियों का आधुनिकीकरण व नहरों से सेवा पथ के पक्कीकरण का प्रावधान किया गया।

योजना पर हुई 493 करोड़ से अधिक राशि

त्वरित सिंचाई लाभ योजना (AIBP) के तहत केंद्र से स्वीकृति मिली। इसके तहत इंद्रपुरी बराज से अतिरिक्त शीर्ष नियामक का निर्माण कर समानांतर नहर का निर्माण अब तक अधूर है। लगभग एक किमी सीमेंट ढलाई यानी लाइनिंग का कार्य बाकी है। इसके निर्माण पर 172 करोड़ खर्च हुआ है। 2202 में इसका निर्माण कर समानांतर नहर को डेहरी फाल के पास मुख्य नहर में जोड़ने का कार्य प्रारम्भ होगी। इसके निर्माण से पश्चिमी मुख्य नहर में पानी की आपूर्ति क्षमता 15550 क्यूसेक हो जाएगी। इस राशि से क्षतिग्रस्त हो चुके प्राथमिकता के आधार पर कई नहरों का जीर्णोद्धार किया गया। क्षतिग्रस्त आउटलेट का निर्माण किया गया।

परेशान हैं आरा, बक्सर व मनेर के निवासी

सोन नहरों के टेल एन्ड (अंतिम छोर) तक पानी नहीं पहुंचने का खमियाजा भुगतते हैं। विभागीय अधिकारी को सबसे ज्यादा शिकायत इन्हीं क्षेत्रों से आती है। एडीबी ने बिहार में सोन नहर परियोजना को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने भोजपुर और अश्विनी चौबे ने बक्सर जिलों के सोन नहरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचने को पहल की।

एशियाई विकास बैंक (ADB) ने बिहार के भोजपुर व बक्सर क्षेत्र में सोन नहर की पानी का रिसाव रोकने (लाइनिंग) की परियोजना के लिए 503 मिलियन अमरीकी डॉलर 37 अरब 45 करोड़ 15 लाख, 44050  का ऋण मंजूर किया है। प्राकलन का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है।

कहते हैं अधिकारी

मुख्य अभियंता ओम प्रकाश सिंह कहते हैं कि नहरों के आधुनिकीकरण को सरकार प्रयत्नशील है। टेल एन्ड तक सुविधाजनक खेतो तक पानी पहुंचे, इसके कार्य जल्द ही धरातल पर नजर आएगा। जल्द ही भोजपुर, बक्सर जिलों के सोन नहर प्रणालियो का आधुनिकरण का कार्य प्रारम्भ होने की उम्मीद है।

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