Rohtas News: अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा विभूतियों को तराशने वाला विद्यालय

कहते हैं कि कामयाबी हासिल करना अच्छी बात है परंतु उसे बरकरार रखना बड़ी बात है। प्रखंड के पहला उच्च विद्यालय के लगभग 80 वर्ष के इतिहास पर गौर करें तो यह बात अक्षरश साबित होती दिख रही है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 05:41 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 05:41 PM (IST)
Rohtas News: अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा विभूतियों को तराशने वाला विद्यालय
अस्तित्‍व बचाने में लगा काराकाट का प्रखंड स्‍कूल। जागरण।

संवाद सूत्र, काराकाट (सासाराम)। कहते हैं कि कामयाबी हासिल करना अच्छी बात है, परंतु उसे बरकरार रखना बड़ी बात है। प्रखंड के पहला उच्च विद्यालय के लगभग  80 वर्ष के इतिहास पर गौर करें, तो यह बात अक्षरश: साबित होती दिख रही है। अनेक प्रतिभाओं को तरासने वाला यह विद्यालय अब अपने पुराने वैभव को पाने की जद्दोजहद कर रहा है। 1942 में स्थापित इस विद्यालय के कई छात्र शिक्षा, चिकित्सा, लेखन व बड़े प्रशासनिक ओहदे को सुशोभित कर चुके हैं। यहां से शिक्षा ग्रहण कर राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक विद्यालय को गौरवान्वित किया है। क्षेत्र के लोगों में शिक्षा पाने की ललक देख बुढ़वल निवासी रामनिहोरा सिंह ने 1942 में भूमि दान कर विद्यालय का निर्माण करा उसका भवन तक बनवा दिया था। फिलहाल यहां शिक्षकों का घोर अभाव है। स्मार्ट क्लासेज के लिए अलग कमरे में 16 कंप्यूटर हैं, परंतु शिक्षक के बिना विद्यार्थियों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है। 

कई विभूतियों ने की है शिक्षा ग्रहण

कई विभूति इस विद्यालय के छात्र रहे चुके हैं। इनमे नाल्को के निदेशक, आइएमटी गाजियाबाद व लखनऊ में  डीन, राज्य आयोग के सदस्य व कई शैक्षणिक संस्थानों के बोर्ड सदस्य रह चुके बुढ़वल निवासी बंशीधर सिंह, पटना विश्व विद्यालय के डीन रह चुके प्रो. राधामोहन सिंह, चिकित्सा के क्षेत्र में मलेशिया तक का सफर करने वाले डा. कामेंद्र सिंह व अमेरिका में एनआरआइ राधिका रमण सिंह, बिहार सरकार में मुख्य अभियंता रहे सोनवर्षा निवासी कन्हैया सिंह शामिल हैं। बंशीधर सिंह व डा. कामेंद्र सिंह ने 60 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। टिस्को में जीएम बुढ़वल निवासी राम तवक्या सिंह, एडीएम रहे रामबहादुर सिंह, रजिस्ट्रार लाल बहादुर सिंह समेत 10  से अधिक लोग विभिन्न कालेजों में प्राचार्य बन कर विद्यालय को गौरवान्वित किया है।

शिक्षकों की कमी का पड़ रहा असर

विद्यालय में वर्ग नव के कुल 226 छात्र- छात्रा हैं। 93 छात्रा व 133 छात्रों पर 16 शिक्षकों की जगह एचएम समेत नौ शिक्षक कार्यरत  हैं। शिक्षकों को मलाल है कि इस विद्यालय को प्लस टू का दर्जा तो मिला, परंतु अब तक कोड नहीं प्राप्त हो सका । हिंदी, अर्थशास्त्र, रसायन विज्ञान व भौतिक शास्त्र के शिक्षक नहीं हैं।

कहते हैं प्राचार्य

प्राचार्य जितेंद्र पांडेय ने कहा कि सीमित संसाधनों के बीच ही विद्यालय के स्वर्णिम अध्याय की पुनरावृत्ति करने की कोशिश जारी है।  शिक्षकों की कमी व संसाधन के अभाव के चलते विद्यालय के विकास की रफ्तार धीमी पड़ जा रही है।

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