जाति को ले डेहरी के राजद विधायक ने उठाई उंगली, मुख्‍य पार्षद ने कहा, ओछी राजनीति मत करिए

डेहरी के राजद विधायक फतेबहादुर सिंह और मुख्य पार्षद विशाखा सिंह के बीच जाति प्रमाण पत्र को लेकर ठनी हुई है। विधायक ने मुख्य पार्षद पर गलत जाति प्रमाण पत्र बनवाकर कुर्सी हासिल करने का आरोप लगाया है। उन्‍होंने डीएम से इसकी शिकायत की है

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 09:16 AM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 09:16 AM (IST)
जाति को ले डेहरी के राजद विधायक ने उठाई उंगली, मुख्‍य पार्षद ने कहा, ओछी राजनीति मत करिए
राजद विधायक और मुख्‍य पार्षद विशाखा सिंह। फाइल फोटो

डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास), संवाद सहयोगी। डेहरी के राजद विधायक फतेबहादूर सिंह और मुख्य पार्षद विशाखा सिंह के बीच जाति प्रमाण पत्र को लेकर ठनी हुई है। विधायक ने मुख्य पार्षद पर गलत जाति प्रमाण पत्र बनवाकर कुर्सी हासिल करने का आरोप लगाया है। उन्‍होंने डीएम  से इसकी शिकायत की है।वहीं मुख्‍य पार्षद ने इसे ओछी राजनीति बताया है। डीएम को लिखे शिकायत पत्र में विधायक ने आरोप लगाया है कि मुख्य पार्षद ने सामान्य जाति की सीट पर दो बार चुनाव जीता, लेकिन मुख्य पार्षद बनने के लिए उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गलत तरीके से अतिपिछड़ा जाति का प्रमाण पत्र बनवा लिया। उनका जाति प्रमाण पत्र डेहरी अंचल कार्यालय से निर्गत है। उन्‍होंने कहा कि इस मामले में जांच कर जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए। 

विधायक राजनीति के कारण उछाल रहे मामला 

वहीं मुख्य पार्षद विशाखा सिंह ने विधायक के आरोप पर कड़ा एतराज जताते हुए इसे उनकी ओछी राजनीति बताया है। उन्होंने कहा कि विधायक जानबूझकर राजनीति के कारण इस मामले को उछाल रहे हैं। जिसका कोई भी वाजिब आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले भी प्रशासनिक अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज की गई थी। उसमें जांच के दौरान उनकी जाति के संबंध में कि गई शिकायत आधरहीन बताई गई थी और मामला सुलझ गया था। मुख्य पार्षद ने कहा कि उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था और इस मामले में की गई शिकायत का पटाक्षेप उसी समय हो गया जब डेहरी अवर निर्वाचन पदाधिकारी ने जांच प्रतिवेदन को प्रस्तुत कर दिया था। 

बाद में उनकी जाति शामिल हुई थी अतिपिछड़ा की श्रेणी में 

मुख्य पार्षद का कहना है कि साल 2017 में प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत की गई थी। जिसके बाद डेहरी के अंचलाधिकारी ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट एसडीएम को सौंंपी थी। प्रतिवेदन में कहा गया है कि साल 2012 में विशाखा सिंह ने वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ा था। उस समय उनकी जाति ओबीसी में आती थी। जिसके लिए किसी भी तरह के आरक्षण का प्रावधान नगरपालिका चुनाव में नहीं था। जांच प्रतिवेदन ने साफ तौर पर उल्लि‍खित है कि साल 2015 में उनकी जाति को अत्यंतपिछड़ा वर्ग अनुसूची एक में शामिल किया गया। अवर निर्वाचन पदाधिकारी के प्रतिवेदन में साफ तौर पर कहा है कि गलत जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर आरक्षण का लाभ लेने का आरोप सही प्रतीत नहीं हो रहा । मुख्य पार्षद ने कहा कि इस मामले में लोकायुक्त से भी पूर्व में शिकायत की गई थी। लेकिन उन्हें वहां से भी क्लीन चिट मिल गई थी।

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