गया की रीता रानी दिव्यांग बेटियों की उम्मीद व हौसले की 'उड़ान', मुख्‍यमंत्री से भी मिल चुका सम्‍मान

दिव्यांगता अभिशाप नहीं वरदान है। यह मानना है गया की दिव्यांग रीता रानी प्रसाद का। जिले के बोधगया धनावां मध्य विद्यालय में बतौर सहायक शिक्षिका कार्यरत रीता रानी दिव्यांग महिलाओं व बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इनका कद भले ही तीन फीट हो लेकिन हौसलों की उड़ान कहीं ज्यादा है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 06:37 AM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 06:37 AM (IST)
गया की रीता रानी दिव्यांग बेटियों की उम्मीद व हौसले की 'उड़ान', मुख्‍यमंत्री से भी मिल चुका सम्‍मान
सहायक शिक्षिका रीता रानी प्रसाद। फाइल फोटो।

सुभाष कुमार, गया। दिव्यांगता अभिशाप नहीं वरदान है। यह मानना है गया की दिव्यांग रीता रानी प्रसाद का। जिले के बोधगया, धनावां मध्य विद्यालय में बतौर सहायक शिक्षिका कार्यरत रीता रानी दिव्यांग महिलाओं व बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। इनका कद भले ही तीन फीट हो, लेकिन इनके हौसलों की उड़ान कहीं ज्यादा है। रीता बीते 11 वर्षों से शिक्षा की अलख जगा रही हैं। सरकारी विद्यालय में पढ़ाने के अलावा वे मानसिक दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करती हैं। उनके हुनर को निखारती हैं। शहर के आकांक्षा मानसिक दिव्यांग स्कूल में रीता 13 वर्षों से पढ़ा रही हैं। बीते सितंबर में पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें बेहतर योगदान के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सम्मानित किया था। इसके साथ रीता जिला प्रशासन के हाथों कई बार सम्मानित हो चुकी हैं। वे गया जिले में दिव्यांगन समूह की अध्यक्ष हैं।

दिव्यांगों को दिलाती हैं मान-सम्मान व अधिकार

रीता हमेशा दिव्यांगों को समाज से जोडऩे के लिए तत्पर रहती हैं। अपनी मेहनत व लगन से वे दिव्यांगों के प्रति लोगों का नजरिया बदलने में जुटी हैं। बस एक ही ख्वाहिश है कि दूसरों की तरह दिव्यांगों को भी मान-सम्मान मिले। इसके लिए वे लगातार संघर्षशील रहती हैं। अक्सर कई कार्यक्रमों में शामिल होकर ये उनकी आवाज बनती हैं।

दिव्यांगों के लिए हैं सुपर लेडी

रीता बचपन से स्वाभिमानी रही हैं। उन्होंने कभी दिव्यांगता को खुद पर हावी नहीं होने दिया। इसी कारण इन्हें लोग सुपर लेडी की संज्ञा देते हैं। रीता ने स्नातक की डिग्री हासिल की है। वह दिव्यांग बेटियों से कहती हैं, 'अपनी शारीरिक कमजोरी से कभी भी नहीं घबराएं, जहां चाह है, वहीं राह होती है।' समस्याओं में ही निदान है। टिल्हा महावीर स्थान की इस होनहार बिटिया का परिवार के अलावा मोहल्ले के लोग भी हौसला बढ़ाते हैं। सभी इनके प्रयासों की सराहना करते हैं। रीता सफलता के लिए परिवार व शिक्षकों को श्रेय देती हैं।

स्वरोजगार से दिव्यांग महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर

आत्मनिर्भरता के लिए रोजगार जरूरी है। इसी सोच के साथ रीता दिव्यांग महिलाओं व बेटियों को स्वरोजगार से जोड़ती हैं। उन्हें घरेलू रोजगार करने की सलाह देती हैं। संस्थाओं की मदद से हुनरमंद बनने की ट्रेनिंग दिलाती हैं। इन्होंने कई दिव्यांगों को अगरबत्ती, लिफाफा व पापड़ निर्माण, हस्त शिल्प, कुटीर उद्योग जैसे कार्य सिखाए हैं। आज इनसे प्रेरणा और हुनर सीखकर कई दिव्यांग अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं।

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