कैमूर के अस्‍पतालों में संसाधन उपलब्ध, विशेषज्ञ डॉक्‍टरों की कमी से बच्चों के इलाज में हो रही परेशानी

रामपुर पीएचसी में डॉक्टरों की कमी नहीं है। यहां नौ डॉक्टर कार्यरत है। इसमें पांच चिकित्सक एमबीबीएस तीन चिकित्सक आयुष व एक दांत के चिकित्सक हैं। जिसमे दो आयुष चिकित्सक क्षेत्र में रहते है। लेकिन यहां शिशु रोग विशेषज्ञ व महिला चिकित्सक नहीं है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 04:48 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 04:48 PM (IST)
कैमूर के अस्‍पतालों में संसाधन उपलब्ध, विशेषज्ञ डॉक्‍टरों की कमी से बच्चों के इलाज में हो रही परेशानी
विशेषज्ञ डॉक्‍टरों की कमी से बच्‍चों के इलाज में परेशानी। सांकेतिक तस्‍वीर।

संवाद सूत्र, रामपुर (भभुआ)। कोरोना संक्रमण का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है। अभी कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है, तब तक वायरल बुखार का प्रकोप फैल गया। जो इन दिनों लगभग सभी लोगों को परेशान किए है। खास कर बच्चों को इससे अधिक प्रभावित देखा जा रहा है। वायरल बुखार की चपेट में आने वाले बच्चों को इलाज के लिए उनके अभिभावक सरकारी अस्पताल में पहुंच रहे हैं। लेकिन कई अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था ठीक नहीं है। लेकिन रामपुर पीएचसी में इलाज की व्यवस्था अन्य अस्पतालों से कुछ ठीक है। गुरुवार को बच्चों के इलाज की व्यवस्था की पड़ताल के दौरान यह बात सामने आई कि रामपुर पीएचसी में संसाधन तो उपलब्ध हैं लेकिन यहां यहां शिशु रोग विशेषज्ञ की कमी है।

रामपुर पीएचसी में नौ चिकित्सक हैं कार्यरत

रामपुर पीएचसी प्रबंधक मो. इमरान ने बताया कि रामपुर पीएचसी में डॉक्टरों की कमी नहीं है। यहां नौ डॉक्टर कार्यरत है। इसमें पांच चिकित्सक एमबीबीएस, तीन चिकित्सक आयुष व एक दांत के चिकित्सक हैं। जिसमे दो आयुष चिकित्सक क्षेत्र में रहते है। लेकिन, यहां शिशु रोग विशेषज्ञ व महिला चिकित्सक नहीं है।

पीएचसी में हैं छह जेनरल बेड

विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रामपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कमरों का अभाव होने के कारण बेड की कमी है। यहां छह सामान्य बेड है। जिसका सामान्य तौर पर प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं, अन्य लोगों को इलाज के दौरान उपयोग किया जाता है। वहीं कुछ कमरा है जो जर्जर हालत में पहुंच गया है। जिसमे कर्मियों द्वारा कार्य जान जोखिम में डालकर किया जाता है। जहां हमेशा कर्मियों में डर बना रहता है। एक माह पूर्व छत का प्लास्टर गिर जाने से एक कर्मी घायल हो गया।

6 छोटा व 4 बड़ा ऑक्सीजन सिलेंडर

रामपुर पीएचसी के स्वास्थ्य प्रबंधक ने बताया कि रामपुर प्रखंड के स्वास्थ्य केंद्र के लिए कोविड मरीजों के लिए छोटा बड़ा मिलाकर कुल 10 ऑक्सीजन सिलेंडर है। जिसमें 4 बड़ा व 6 छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि रामपुर पीएचसी से कोरोना काल के दौरान भभुआ सदर अस्पताल में चार बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर को भेजा गया था। जो अभी वहां पर ही है। जरूरत पड़ने पर वहां से मंगाया जाएगा।

ऑक्सीजन कांस्ट्रेटर भी उपलब्ध है, नहीं होगी ऑक्सीजन की कमी

स्वास्थ्य विभाग के प्रबंधक ने बताया कि रामपुर पीएचसी में वायरल फीवर के लिए के ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होगी। अगर ऑक्सीजन की कमी सिलेंडर में होगी तो उसके लिए ऑक्सीजन कांस्ट्रेटर की भी व्यवस्था है। जो नेचुरल ऑक्सीजन को कांस्ट्रेटर के माध्यम से सिलेंडर में भरा जाएगा। उसे कोविड मरीजो को चढ़ाया जाता है। ताकि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हो। वायरल फीवर को लेकर यह व्यवस्था की गई है। जो काफी राहत देगी। इसके बाद यहां रेडिएंट वार्मर मशीन भी है। जो शिशुओं के शरीर के तापमान को कम करता है। जो ठंड होने पर शिशुओं के लिए गर्म करेगा। इसके साथ ही फोटोथेरैपी भी एक मशीन है जो शिशुओं में पीलिया सहित कई प्रकार के रोगों की इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।

महिलाओं के इलाज में होती है परेशानी

स्वास्थ विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रामपुर पीएचसी में एक भी महिला चिकित्सक नहीं है। महिला चिकित्सक के अभाव में गर्भवती महिलाओं को इलाज या प्रसव के लिए एएनएम या पुरुष चिकित्सक को करना पड़ता है। इसके साथ महिला चिकित्सक के अभाव में पीएचसी में इलाज कराने आने वाली महिलाओं को काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ता है। 

भवन के अभाव में मृत प्राय: हैं कुछ केंद्र

पीएचसी के साथ रामपुर प्रखंड में ठकुरहट गांव में एपीएचसी है। इसके अलावा अमांव, सबार, झाली, जलालपुर, कुड़ारी, मईडाढ़, पसाई, नौहट्टा, खरेंदा, बड़कागांव में उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। इसमें झाली व कुड़ारी में अपना भवन नहीं है। अमांव में भवन है लेकिन कर्मी नहीं है। झाली में कर्मी हैं लेकिन अपना भवन नहीं है। इसके चलते इन स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है। इन स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों का इलाज नहीं होने से मरीजों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर में आना पड़ता है।

बेड की नहीं बढ़ी संख्या

रामपुर प्राथमिक स्वास्थ्य में बेड की संख्या नहीं बढ़ाई गई। मात्र छह बेड उपलब्ध है। ऐसे में मरीजों की संख्या बढऩे पर कर्मी व चिकित्सक फर्श पर मरीजों को लेटा कर इलाज करते हैं। यहां ड्रेसर कंपाउंडर का पद करीब 10 वर्षो से रिक्त है। इस स्थिति में दुर्घटना या मारपीट कर आने वाले घायल मरीजों के इलाज में परेशानी होती है। यह कार्य भी एएनएम करती हैं। इसके साथ ही हेल्थ एजुकेटर, पारा मेडिकल, वर्मर, बीसीएम, एसटीएस व एएसटीएस का पद भी रिक्त है। इस अस्पताल में 170 प्रकार की दवा होना चाहिए। लेकिन केवल 30 प्रकार की दवा ही अस्पताल में उपलब्ध है। 15 दिन पूर्व ही लगभग 150 प्रकार की दवा मांग की गई है। यहां 21 एएनएम कार्यरत है। पीएचसी रामपुर में मलेरिया, टायफायड, सुगर, सीबीसी, एचआईबी, सहित कई प्रकार की जांच होती है।

कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

इस संबंध में पीएचसी प्रभारी डा. चंदन कुमार ने कहा कि उपलब्ध संसाधन के माध्यम से यहां आने वाले मरीजों का इलाज किया जाता है। जो यहां कमी है उसके संबंध में वरीय पदाधिकारियों को अवगत कराया गया है।

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