आहर-पईन का हुआ जीर्णोद्धार तो खिजरसराय के नौ गांवों में आई हरियाली, 400 एकड़ भूमि हुई सिंचित

राज्य सरकार और स्वयंसेवी संस्था से जुड़े सदस्य या अधिकारी यदि मन लगाकर कार्य करते हैं तो धरती पर उसकी झलक दिखने लगती है। कुछ ऐसा ही जिले के खिजरसराय प्रखंड के नौ गांवों में देखने को मिल रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 10:44 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 10:44 AM (IST)
आहर-पईन का हुआ जीर्णोद्धार तो खिजरसराय के नौ गांवों में आई हरियाली, 400 एकड़ भूमि हुई सिंचित
धान की रोपाई करते किसान। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, मानपुर (गया)। राज्य सरकार और स्वयंसेवी संस्था से जुड़े सदस्य या अधिकारी यदि मन लगाकर कार्य करते हैं तो धरती पर उसकी झलक दिखने लगती है। कुछ ऐसा ही जिले के खिजरसराय प्रखंड के नौ गांवों में देखने को मिल रहा है। यहां नाबार्ड के सहयोग और समन्वय तीर्थ संस्था के प्रयास से आठ आहर व आठ पईन का जीर्णोद्धार किया गया है। इससे 400 एकड़ भूमि सिंचित हो रही है। इसमें क्षेत्र के किसान विभिन्न तरह की फसलों को उपजा रहे हैं। वहीं, 11 आहर खोदी गई, जिसमें 11 किसान मत्स्य पालन कर रहे हैं। इससे उन्हें सालाना करीब 22 लाख की आमदनी हो रही है।

ऐसे लाभान्वित हुए 11 गांवों के किसान

नाबार्ड और समन्वय तीर्थ संस्था के अधिकारी जून 2017 को खिजरसराय के हथियावां गांव में पहुंचे और किसानों के साथ बैठक की। सिंचाई के संसाधनों के बारे में जानकारी ली गई। उसके बाद नाबार्ड के अधिकारियों ने कहा कि मृत पड़ी आहर और पईन का जीर्णोद्धार कराया जाए। इसके लिए हथियावां जलछाजन परियोजना का गठन किया गया। इसमें 11 किसानों को सदस्य बनाया गया। अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक में खाता खोलवाया गया। उक्त खाते में नाबार्ड की ओर से धनराशि भेजी गई। उक्त राशि का उपयोग किसानों ने समन्वय तीर्थ संस्था के मार्गदर्शन पर किया।

नाबार्ड के बेहतरीन कार्य से किसान हैं प्रसन्न

हथियावां गांव के अवधेश प्रसाद, वारा गांव के रामाकांत पांडेय, तेजा विगहा के सोनी देवी, ताजपुर के कमलाकांत सहित अन्य किसान कहते हैं कि नाबार्ड की ही देन है कि आज हम लोगों की फसल सिंचित हो रही है। तालाब से मछली का पालन कर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। तालाब और आहर में सालभर पानी भरे रहने के कारण क्षेत्र के जलस्तर में कमी नहीं आई। गर्मी के मौसम में भी चापाकल व सबमर्सिबल पानी देता रहा।

दूसरे गांवों के लोग भी हुए प्रभावित

जल छाजन परियोजना के तहत चयनित हथियावां, केवरी, ताजपुर, कुसडीहा, जमुआवां, वारा, वहवलपुर, करपी व खुशिहालपुर गांव के किसानों के मत्स्य पालन से अच्छी आमदनी अर्जित करते देखकर दूसरे गांवों के किसान भी काफी प्रभावित हुए हैं। कई किसान अपनी जमीन पर तालाब की खोदाई करवाकर मत्स्य पालन की योजना बनाए हैं।

किसानों के उत्थान के लिए हम सदैव तत्पर

समन्‍वय तीर्थ संस्‍था के सचिव ओम सत्‍यम त्रिवेदी ने कहा कि हथियावां जलछाजन परियोजना के तहत चयनित नौ गांवों के किसानों के उत्थान के लिए नाबार्ड काफी तत्पर है। उसके अधिकारी गांव का दौरा कर रहे हैं। किसानों के सामने आ रहीं समस्याओं का समाधान भी किया जा रहा है। भूमिहीन महिलाओं को जीवकोपार्जन के लिए बकरी दी जा रही है। किसानों की भूमि पर नाबार्ड की ओर से तीन हजार फलदार व कीमती पौधे लगाए गए हैं।

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