बिहार में शराबबंदी की खुली पोल, स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा; रोहतास में 18.2 फीसद गटक रहे दारू

बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल है। ऐसा राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण 2020-21 में दावा किया गया है। राज्य में शराबबंदी के बाद भी पीने-पिलाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। तमाम कवायदों के बाद भी रोहतास के 18.2 फीसद पुरुष और 0.4 फीसद महिलाएं शराब पी रही हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 10:43 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 10:43 AM (IST)
बिहार में शराबबंदी की खुली पोल, स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा; रोहतास में 18.2 फीसद गटक रहे दारू
शराबबंदी के बावजूद रोहतास में धड़ल्‍ले से पीने-पिलाने का चलन। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

ब्रजेश पाठक, सासाराम। बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल है। ऐसा राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वेक्षण 2020-21 में दावा किया गया है। राज्य में शराबबंदी के बाद भी पीने-पिलाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। तमाम कवायदों के बाद भी रोहतास के 18.2 फीसद पुरुष और 0.4 फीसद महिलाएं शराब पी रही हैं। यह तथ्य राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट में उजागर हुआ है। शराबबंदी के बाद लोगों में शराब पीने की लत बढ़ गई है। इस रिपोर्ट ने पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई पर भी सवाल खड़ा कर दिए हैं। तंबाकू खाने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। यहां एक फीसद महिलाएं व 40.6 फीसद पुरुषों में तंबाकू के लत पाए गए हैं।

शराबबंदी के बाद शराब सेवन, बिक्री व ढुलाई पर कठोर कानून बनने के बाद भी शराब पीने की आद नहीं छूट पा रही है। गत एक वर्ष में तीन हजार से अधिक पियक्कड़ों व तस्करों की गिरफ्तारी तथा एक लाख लीटर से अधिक शराब की जब्ती ने शराबबंदी की स्थिति को पुलिस-प्रशासन के समक्ष स्पष्ट कर दिया है कि इस धंधे में तस्करों की सक्रियता ने शराबबंदी को पूरी तरह लागू होने में रोड़ा डाल रहा है। जिस तरह से जिले में शराब की जब्ती हुई है उससे इसकी खपत का अंदाजा भी सहज लगाया जा सकता है। अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 के आंकड़ों ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि यहां 18.2 फीसद पुरुष शराब का सेवन अब भी कर रहे हैं।  0.4 फीसद महिलाएं भी शराब पी रही हैं।

तंबाकू खाने वालों की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई  है। यहां एक फीसद महिलाएं व 40.6 फीसद पुरुषों में तंबाकू के लत पाए गए हैं। जानकार बताते हैं कि शराबबंदी के बाद अस्पतालों व अन्य जगहों पर नशा मुक्ति केंद्र बनाए गए थे, जो अब बंद हो गया है। स्वजनों व ग्रामीणों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से भी अभियान को धक्का पहुंच रहा है।

कहते हैं एसीएमओ

अपर मुख्‍य चिकित्‍सा पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि शराब व तंबाकू दोनों मानव जीवन के लिए घातक है। इससे कैंसर, गुर्दा संबंधित कई बीमारियां बढ़ रही हैं। शराबबंदी कानून का पालन सभी को करना अपने स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।

आंकड़े बयां कर रहे हकीकत

पुरुष वर्ग द्वारा शराब सेवन  :     18.2 प्रतिशत

महिला वर्ग द्वारा शराब सेवन  :   0.4   प्रतिशत

पुरुष वर्ग द्वारा तंबाकू सेवन  :    40.6   प्रतिशत

महिला वर्ग द्वारा तंबाकू सेवन :  1.00  प्रतिशत

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