गया में गर्मी की दस्तक के साथ नीरा बनाने तैयारी शुरू
गर्मी की दस्तक के साथ ही नीरा निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गई।
गया । गर्मी की दस्तक के साथ ही नीरा निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गई। जिले में करीब 14 लाख ताड़ के पेड़ हैं और उससे 26 सौ टैपर की जीविका जुड़ी है। ताड़ी से नीरा बनाने में करीब 541 जीविका दीदी का रोजगार है।
वर्ष 2017 में जिला कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक जिले में 14 लाख ताड़ के पेड़ हैं। इस बार नीरा बनाने वाले टैपरों (तार पर चढ़कर रस उतारने वाले) को जीविका की ओर से अधिक सुविधाएं दी जाएगी। इन सबको लेकर जीविका जिला स्तर पर अपने कर्मियों को प्रशिक्षण दे रही है। यही कर्मी अपने-अपने प्रखंड में जाकर टैपरों को नीरा बनाने की आधुनिक तकनीक के बारे में बताएंगे। अप्रैल से जून महीने में नीरा तैयार करने के लिए सबसे उपयुक्त मौसम माना जाता है। इन महीनों में ताड़ के पेड़ से अधिक रस प्राप्त होते हैं।
जीविका के आजीविका प्रबंधक मोहम्मद शमीम बताते हैं कि इस बार चयनित टैपरों को पीएच मीटर, रिफ्रैक्टोमीटर, आइस वेडिग कार्ड ठेला, गुमटी आदि दिया जाएगा। पीएच मीटर के जरिए वह तार से उतारे गए रस में ताड़ी है या नीरा इसका माप कर सकेंगे। 6 से 7 पीएच मान वाले रस को नीरा के लिए बेहतर माना जाता है। वहीं रिफ्लेक्टोमीटर यंत्र से नीरा में उपलब्ध चीनी अथवा ग्लूकोज की मात्रा का आसानी से पता लगाया जाता है। अभी प्रशिक्षण के दौरान उन तैयार नीरा को अलग-अलग स्वाद में तैयार करने की विधि भी बताई जा रही है। लीची फ्लेवर, मैंगो फ्लेवर से लेकर अन्य फ्लेवर में यह नीरा तैयार होंगे। जो बाजार में लोगों का स्वाद बढ़ाएंगे। गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2017 से ताड़ के पेड़ से नीरा बनाने की योजना शुरू की है। विशेषकर शराबबंदी के बाद से ताड़ी के बजाय नीरा पर सरकार का विशेष ध्यान है।
सरकार ताड़ के पेड़ पर चढ़ने वाले टैपरों को ताड़ी के बजाय नीरा बेचने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ताड़ के पेड़ से मिलने वाले रस से गुड़, शक्कर, नीरा, कोल्ड ड्रिक्स समेत कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। बाजार में इन देसी प्रोडक्ट की काफी मांग होती है। टैपरों को इन सामानों की बिक्री करने पर एक अच्छी रकम प्राप्त होती है।