श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का मनाया गया प्रकाश उत्सव
जागरण संवाददाता, गया : गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में रविवार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब महाराज जी क
जागरण संवाददाता, गया : गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में रविवार को श्री गुरु ग्रंथ साहिब महाराज जी का प्रकाश उत्सव मनाया गया। सुबह सुखमणि साहिब जी व पंज बाणी का पाठ, कीर्त्तन और अरदास की गई। यह कार्यक्रम दोपहर तक चला। उसके बाद लंगर की सेवा हुई, जिसमें छोटे-छोटे बच्चों व महिलाओं ने सहयोग किया।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव सह वरीय अधिवक्ता सरदार प्रीतम सिंह बग्गा ने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब जी सिख संप्रदाय का प्रमुख धर्म ग्रंथ है। इसका संपादन सिख धर्म के पाचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी महाराज ने किया। गुरु ग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश 16 अगस्त 1604 को हरमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ। 1705 में दमदमा साहिब में दशमेश पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज जी ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के 116 शब्द जोड़कर इसको पूर्ण किया इसमें कुल 1430 पृष्ठ है। उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में मात्र सिख गुरुओं का उपदेश ही नहीं, अपितु तीन सौ हिन्दू संत और मुस्लिम भक्तों की वाणी संग्रहित है। कमेटी के प्रधान सरदार करनैल सिंह ने बताया कि गुरु बाणी के अनुसार व्यक्ति अपने कमरें के अनुसार ही महत्व पाता है। गुरुबाणी के अनुसार, ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सामाजिक उत्तरदायित्व से विमुख होकर जंगलों में भटकने की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर हमारे हृदय में ही है। उसे अपने आतरिक हृदय में ही खोजने व अनुभव करने की आवश्यकता है। कमेटी के कोषाध्यक्ष सरदार गुरुचरण सिंह ने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब जी को कभी-कभी गुरू बाणी मात्र कहते हैं।
खालसा यूथ परिवार के संयोजक सह अधिवक्ता अंकुश बग्गा ने बताया कि गुरु ग्रंथ साहिब जी की पंक्तियों का कुछ उच्चारण उस समय भी किया करते हैं। जब कभी बालकों का नामकरण दीक्षा के साथ-साथ मंगलोत्सव व शव संस्कार में भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में कबीरदास के 224, नामदेव जी के 61, संत रविदास के 40, फरीद के चार शब्द सहित अन्य गुरुओं व संतों के शब्द जोड़े गए हैं। इस मौके पर सरदार भगवान सिंह सहित सिख समुदाय की महिलाएं और बच्चों ने हिस्सा लिया।