गाय की सेवा कर जी‍विकोपार्जन कर रहीं पूजा, दूध बेचकर हर महीने कर लेती हैं अच्‍छी कमाई

बाराचट्टी प्रखंड के बिंदा गांव की पूजा कुमारी गायों की सेवा में लगी रहती हैं। पति के साथ हर दिन गायों को चारा खिलाना उसका दूध डेयरी तक पहुंचाना उनकी दिनचर्या है। इससे उन्‍हें अच्‍छी आमदनी होती है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 10:51 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 11:32 AM (IST)
गाय की सेवा कर जी‍विकोपार्जन कर रहीं पूजा, दूध बेचकर हर महीने कर लेती हैं अच्‍छी कमाई
अपनी गायों के पास खड़ीं पूजा कुमारी। जागरण

जेएनएन, गया। एक तो गायों की सेवा का आशीर्वाद मिलता है। दूसरा जीविकोपार्जन भ्‍ाी हो जाता है। यह कहना है  गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड के बिंदा गांव की पूजा कुमारी का। वह अपने पति के सहयोग से पशुपालन कर अच्छी आमदनी कर रही है। पूजा और इसके पति दिनेश कुमार वर्मा सुबह से ही जुटकर गाय और भैंस की सेवा में लग जाते हैं। इसके बाद दूध की बिक्री करते हैं। गांव के लोगों के अलावा ये डेयरी में भी गाय-भैंस का दूध देते हैं।पूजा कुमारी बताती है कि हमारे पास कुल 7 गायें और 2 भैंस थी। परंतु कोरोना की ऐसा हवा चली कि हमारे पास इसके चारे के भी पैसे नहीं थे। इस काल में लोग दूध भी नहीं खरीद रहे थे। जानवरों के चारे पर आफत आने लगा। हमने 5 गाय को मजबूरी में मायके भेज दिया। 

प्रत्येक दिन 40 किलो दूध डेयरी में भेजती हैं पूजा

 महिलाओं ने बिंदा ऑटोमेटिक मिल्क कनेक्शन यूनिट के नाम से सुधा डेयरी गया ने एक यूनिट बनाया है। उसकी देखरेख के साथ दूध एकत्र करने की जिम्मेवारी पूजा के पास है। गांव में जो भी पशुपालक हैं उनसे प्रत्येक दिन दूध एकत्र कर पूजा डेयरी के लिए भेजती हैं। हालांकि इस कार्य के लिए डेयरी से उसे कोई पैसे नहीं मिलते।

पशुपालन की प्रेरणा पूजा को मिली जीविका से

बिंदा गांव में जीविका की गायत्री महिला स्वयं सहायता समूह की पूजा कोषाध्यक्ष हैं। पूजा बताती हैं कि पशुपालन से होने वाले फायदे तथा उसे स्वरोजगार का मार्ग हमें जीविका से मिला। प्रशिक्षण के दौरान गौपालन की बात जीविका के पदाधिकारियों ने हम महिलाओं को अक्सर बताया करते हैं । उसी से प्रेरणा मिलने के बाद मैंने मन मे ठानी और हम दोनों पति पत्नी गौपालन का काम प्रारंभ किए। पूजा  बताती हैं कि गाय का दूध बेचकर हमें हर महीने 6300 की आमदनी होती है। इसके साथ ही घर में ही किराने की दुकान चलाते हैं। दोनों से अच्‍छी आमदनी हो रही है।

नहीं मिला पशु शेड, कई बार आग्रह की है पंचायत रोजगार सेवक से

 महिला समूह की कोषाध्यक्ष पूजा कुमारी बताती है कि अपने पंचायत के रोजगार सेवक से कई बार हमने पशु शेड बनाने का आग्रह की।परंतु अब तक मनरेगा से हमें पशु शेड नहीं मिल पाया है। नतीजा यह है कि हम अपने चार पालतू जानवरों को किसी तरह लकड़ी के खंभे से ऊपर करकट का सेड देकर रखते हैं। अगर पशु शेड मिल जाता तो हमें पशुपालन के कार्य में काफी राहत मिल पाती।

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