PitruPaksha 2021: पितृपक्ष को लेकर गयाजी आने लगे तीर्थयात्री, किया तर्पण, जानिए किस दिन कहां होगा पिंडदान
20 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। सरकारी घोषणाओं में मेला का आयोजन नहीं किया गया है। जबकि कर्मकांड को लेकर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। पितृपक्ष को देखते हुए कर्मकांड को लेकर पिंडदानी गया आना शुरू कर दिए हैं।
गया, जागरण संवाददाता। गया ऐतिहासिक एवं पौराणिक शहर है। इसे मोक्ष धाम भी कहा जाता है। क्योंकि पितरों की मोक्ष के लिए सबसे उत्तम स्थान गया को माना गया है। जहां प्रत्येक दिन अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदानी गया में आकर पिंडदान एवं तर्पण करते हैं। लेकिन पितृपक्ष में गया धाम का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है। जहां देश-विदेश से काफी संख्या में तीर्थयात्री गया आते हैं। 20 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। सरकारी घोषणाओं में मेला का आयोजन नहीं किया गया है। जबकि कर्मकांड को लेकर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। पितृपक्ष को देखते हुए कर्मकांड को लेकर पिंडदानी गया आना शुरू कर दिए है। ट्रेन के साथ-साथ बस एवं चार पहिया वाहन से आ रहे हैं। जहां सोमवार से को फल्गु नदी के पवित्र जल से तर्पण एवं पिंडदान करें। तीर्थयात्री शहर में स्थित होटल एवं धर्मशाला में अपना आवासन कर रहे हैं। साथ ही गयापाल पुरोहितों द्वारा उपलब्ध कराए हुए स्थानों पर जा रहे हैं। जहां एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 एवं 17 दिन का कर्मकांड करेंगे।
पिंडदानियो ने गोदावरी सरोवर में किया तर्पण
15 दिन एवं 17 दिन के श्राद्ध कर्म करने वाले पिंडदानी चतुर्दशी तिथि से ही कर्मकांड प्रारंभ कर देते हैं। जो पिंडदानी पुनपुन नहीं जाते वे शहर में स्थित गोदावरी सरोवर के पवित्र जल से अपने पितृ को मोक्ष की कामना के लिए तर्पण करते हैं। इसी क्रम में रविवार को सरोवर के तट पर पिंडदानियों ने तर्पण किया। तर्पण को लेकर सुबह से ही पिंडदानी सरोवर के पास पहुंचने लगे थे। जहां सरोवर में स्नान कर वैदिक मंत्रो'चारण के साथ तर्पण किया। सोमवार से फल्गु से कर्मकांड प्रारंभ करेंगे।
किस दिनों कहां होगा पिंडदान
दिन - पिंडवेदी का नाम
01 दिन - फल्गु स्नान, श्राद्ध एवं पांव पूजा
02 दिन - प्रेतशिला, रामशिला, रामकुंड एवं काकबलि
03 दिन - उत्तर मानस, उदीची, कनखल, दक्षिणमानस, जिव्हालोज एवं गदाधर जी का पंचामृत स्नान
04 दिन - सरस्वती स्नान, मातगंवापी, धर्मारण्यकूप एवं बौद्ध दर्शन
05 दिन - ब्रहृासरोवर, काकबलि, तारक ब्रहृाम का दर्शन एवं आम्रसिचत
06 दिन - रूद्रपद, ब्रहृापद, विष्णुपद श्राद्ध एवं पांव पूजा
07 दिन - कार्तिकपद, दक्षिणाग्निपद, गार्हपत्यागनिपद एवं आहवनयाग्निपद
08 दिन - सूर्यपद, चंद्रपद, गणेशपद, संध्याग्निपद, आवसंध्याग्निपद एवं दधीचिपद
09 दिन - कव्वपद, मांतगपद, क्रोंचपद, अगस्तयपद, इंद्रपद, कश्यपद एवं गजकर्णपद
10 दिन - रामगया एवं सीताकुंड
11 दिन - गया सिर एवं गया कूप
12 दिन - मुंड पृष्ठ, आदि गया एवं धौतपद
13 दिन - भीम गया, गौप्रचार एवं गदालोल
14 दिन - विष्णु भगवान का पंचामृत स्नान एवं फल्गु में दूध तर्पण
15 दिन - वैतरणी गोदान एवं तर्पण
16 दिन - अक्षयवट
17 दिन - गायत्री घाट