सांड के आतंक से Nawada के लोग परेशान; दो को पहुंचा चुका अस्पताल, जानिए क्‍यों कर रहा इतना उत्‍पात

हाथी के बाद नवादा के लोग सांड के आंतक से परेशान है। लोगों को देखते ही सांड उनपर टूट रहा है। उसकी चपेट में आए दो लोग बुरी तरह से जख्‍मी हो गए और वे अभी अस्‍पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 04:08 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 11:21 PM (IST)
सांड के आतंक से Nawada के लोग परेशान; दो को पहुंचा चुका अस्पताल, जानिए क्‍यों कर रहा इतना उत्‍पात
अस्‍पताल में चल रहा घायल का इलाज व उत्‍पात मचाने वाला सांड। जागरण।

संवाद सहयोगी, रजौली (नवादा)। गुरुवार की सुबह ब्लॉक रोड में बेलगाम एक सांड़ ने रजौली के सतगीर गांव के कुंज बिहारी यादव पर वार कर उसे जमीन पर पटक दिया। जिससे वे घायल हो गए। सांड द्वारा अचानक हमला कर दिए जाने से आसपास के लोग देखते रह गए।

सांड के वहां से हटते ही आसपास खड़े लोग तुरंत घायल बुजुर्ग के पास पहुंचे और खून से लथपथ हालत में उन्हें उठाकर अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया। जहां चिकित्सक डॉ राघवेंद्र भारती ने बुजुर्ग का प्राथमिक उपचार कर उसकी गंभीर स्थिति को देखते सदर अस्पताल नवादा रेफर कर दिया। आसपास खड़े लोगों ने बताया कि घायल बुजुर्ग सांड के बगल से गुजर रहे थे, तभी अचानक सांड ने उन्हें उठाकर सीधा सड़क पर पटक दिया। जिससे वे घायल हो गए।

गौरतलब है कि 2 दिन पूर्व गोपाल नगर निवासी पप्पू सिंह को सांड ने बीच सड़क पर पटक दिया था। जिससे उनके कानों से खून बहना शुरु हो गया था। इलाज के दौरान रजौली से सदर अस्पताल नवादा रेफर किया गया था। जहां से उसे पटना रेफर कर दिया गया था। पटना के रुबन हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा है। जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। सांड के इस विकराल रूप से लोग डरे और सहमे हुए हैं।

कोई उसे नियंत्रण करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। सांड के इस रौद्र रुप के बारे में स्थानीय पुलिस, वन विभाग और पशुपालन विभाग को भी जानकारी दी गई है लेकिन अभी तक इस सांड को नियंत्रित करने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जिससे लोगों की चिंताएं और बढ़ गई है।

मालूम हो कि कुछ महीने पहले एक जंगली हाथी ने नवादा के लोगों को परेशान कर रखा था। उसने छह लोगों की जान ले ली थी। साथ ही आधा दर्जन लोगों को घायल कर दिया था। वन विभाग की टीम ने तीन दिनों के अथक प्रयास के बाद हाथी को झारखंड के जंगलों में भेजा था।

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