स्वच्छ सर्वेक्षण में बाधक बने ओडीएफ घोषित वार्ड में खुले में शौच करते लोग

बोधगया। जब बोधगया नगर पंचायत थी तो कई वार्डो को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था। सभी वाडों में शौचालय बने थे इसके बाद भी लोग खुले में शौच करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 11:14 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 11:14 PM (IST)
स्वच्छ सर्वेक्षण में बाधक बने ओडीएफ घोषित वार्ड में खुले में शौच करते लोग
स्वच्छ सर्वेक्षण में बाधक बने ओडीएफ घोषित वार्ड में खुले में शौच करते लोग

बोधगया। जब बोधगया नगर पंचायत थी तो कई वार्डो को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया था। सभी वार्डो के वैसे घर, जिनमें शौचालय नहीं थे, वहां शौचालयों का निर्माण कराया गया। साथ ही महादलित बाहुल्य टोलों में सार्वजनिक शौचालय बनवाए गए, ताकि लोग खुले में शौच नहीं करें। पर, आदत से मजबूर लोगों ने ओडीएफ के महत्व को नहीं समझा और खुले में शौच करते रहे।

खुले में शौच करने वाले लोगों को क्या मालूम था कि स्वच्छ सर्वेक्षण में उनकी यह आदत अच्छी रैंक दिलाने में बाधा बन सकती है। बोधगया नगर पंचायत को उत्क्रमित कर सरकार द्वारा नगर परिषद का दर्जा दिया गया है, जिसमें शहर के आसपास की कई ग्राम पंचायतों के गांवों को इसमें शामिल कर विस्तार दिया गया है। हालांकि नगर पंचायत के किस वार्ड के कितने घरों में शौचालयों का निर्माण कराया गया, इसका आंकड़ा कार्यालय में नहीं है। यह आश्चर्य का विषय है। कार्यालय में सिर्फ शहरी क्षेत्र के वैसे शौचालय, जिससे टेंडर के माध्यम से नगर परिषद को राजस्व की प्राप्ति होती है, उसके आंकड़े मौजूद हैं। बता दें कि नगर परिषद क्षेत्र में कई ऐसे भी सरकारी भवन हैं, जहां शौचालय की संख्या कम है और जरूरत पड़ने पर उसमें सुरक्षाकर्मियों को प्रशासन द्वारा आवासन सुविधा मुहैया कराई जाती है, वे निरंजना नदी में जाकर खुले में शौच करते हैं। वर्ष 2016 में तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष प्रीति सिंह के कार्यकाल में नगर पंचायत के सभी 19 वार्र्डो को ओडीएफ घोषित किया गया था। उस वक्त महादलित बाहुल्य वार्ड में छह सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया था। यह महज पांच वर्षो में ही जर्जर हो गया। कई सामुदायिक शौचालयों में कराई गई बोरिग का मोटर व पाइप चोरी हो गया, उसकी दीवारें गिर गई। आज सामुदायिक शौचालय जर्जर हालत में दिखाई पड़ते हैं। किस लाभुक को शौचालय का लाभ नहीं मिला है, इसकी जांच कराई जाएगी। पूर्व से बने सामुदायिक शौचालय अल्पावधि में जर्जर कैसे हो गए? यह भी जांच का विषय है। स्वच्छ सर्वेक्षण में शौचालय की भूमिका अहम होती है, इस पर भी रैंकिग निर्भर करती है। अगर नगर परिषद के कर्मी तीसरी रैंकिग पाकर खुश हैं तो यह उचित नहीं है और बेहतर करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

-कुमार ऋत्विक, प्रभारी कार्यपालक पदाधिकारी, बोधगया नगर परिषद

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