औरंगाबाद सदर अस्पताल में आक्सीजन को तड़पेंगे मरीज, मगर सुशील मोदी को अधिकारियों ने सबकुछ ओके बताया

पूर्व उपमुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने आक्सीजन प्लांट का निरीक्षण किया था। इस दौरान सिविल सर्जन एवं अन्य अधिकारियों ने उन्हें यहां बेड एवं कोविड वार्ड की कमी की जानकारी नहीं दी। सबकुछ ओके बता दिया और वो यहां से चले गए।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:09 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 01:26 PM (IST)
औरंगाबाद सदर अस्पताल में आक्सीजन को तड़पेंगे मरीज, मगर सुशील मोदी को अधिकारियों ने सबकुछ ओके बताया
राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी आक्सीजन प्लांट के निरीक्षण के दौरान अधिकारियों से बात करते हुए, जागरण फाइल फोटो।

औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच रविवार को सदर अस्पताल में तैयारी का जायजा लिया तो पाया कि यहां कोई तैयारी नहीं है। न बेड की स्थिति में सुधार हुआ है और न वार्ड बनकर तैयार है। हाल यह कि सदर अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड नहीं है जिस कारण कोरोना के मरीज तड़पते रहते हैं। अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है। कार्य प्रगति पर है। इससे वार्डों में 1000 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन की आपूर्ति होगी। पाइपलाइन से वार्डों में आक्सीजन की सप्लाई की जाएगी परंतु जब वार्ड बनकर तैयार नहीं है तो आक्सीजन की सप्लाई कहां होगी सोचा जा सकता है।

अधिकारियों ने बताया, ऑल इज वेल

शनिवार को सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने आक्सीजन प्लांट का निरीक्षण किया था। उन्होंने आवश्यक निर्देश दिया था। निरीक्षण के दौरान सिविल सर्जन एवं अन्य अधिकारियों ने उन्हें यह जानकारी नहीं दिया कि यहां बेड एवं वार्ड की कमी है। सबकुछ ओके बता दिया और वो यहां से चले गए।

200 लीटर के आक्सीजन प्लांट से हो रही आपूर्ति

सदर अस्पताल में 200 लीटर का आक्सीजन प्लांट चालू हो गया है। कुछ दिन पहले उद्घाटन हुआ था। इससे बच्चा वार्ड में आक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। अस्पताल के प्रबंधक हेमंत राजन ने बताया कि प्रति मिनट 200 लीटर आक्सीजन की आपूर्ति इस प्लांट से होती है। बड़ा प्लांट जब बनकर तैयार होगा तो उससे प्रति मिनट 1000 लीटर आक्सीजन सदर अस्पताल मेंं आपूर्ति होगी। पाइपलाइन के द्वारा वार्डों में आपूर्ति की जाएगी, तब इस अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं होगी। वैसे भी आक्सीजन सिलेंडर पर्याप्त है। कोरोना काल में भी यहां आक्सीजन की कमी नहीं हुई थी, भले ही यहां एक भी कोरोना संक्रमितों का इलाज न हुआ हो।

फ्लो मीटर लगाने में होती है परेशानी

आक्सीजन का फ्लो मीटर लगाने में परेशानी होती है। जो मरीज गंभीर स्थिति में सदर अस्पताल आते हैं उन्हें आक्सीजन का फ्लो मीटर लगाने के लिए इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल के प्रबंधक हेमंत राजन ने बताया कि फ्लो मीटर चलाने का प्रशिक्षण स्वास्थ्यकर्मियों को नहीं दिया गया है। चिकित्सक ही मरीजों को फ्लो मीटर लगाते हैं। ऐसे में आक्सीजन व्यवस्था राम भरोसे चलती है। अस्पताल में वरीय चिकित्सक नहीं होने के कारण भी परेशानी बढ़ जाती है।

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ कुमार मनोज ने बताया कि कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए सदर अस्पताल में व्यवस्था सुदृढ़ की जा रही है। अनुभवी चिकित्सक के न होने के कारण परेशानी है, बावजूद मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा दी जाएगी। फ्लो मीटर लगाने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अस्पताल में वार्ड के साथ बेड की व्यवस्था बनाने में लगे हैं। आक्सीजन की कमी से कोई मरीज दम नहीं तोड़ेगा।

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