खेतों में धान की फसल पककर तैयार, धनकटनी के लिए नहीं मिल रहे मजदूर, किसान परेशान

मजदूरों की कमी के कारण धनकटनी प्रभावित हो रही है। इस कारण से किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। उनका कहना है कि समय पर मजदूर नहीं मिले तो उनकी मेहनत की फसल बर्बाद हो जाएगी।

By Bihar News NetworkEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 05:03 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 05:03 PM (IST)
खेतों में धान की फसल पककर तैयार, धनकटनी के लिए नहीं मिल रहे मजदूर, किसान परेशान
खेतों में धान की फसल पककर तैयार, धनकटनी के लिए नहीं मिल रहे मजदूर, किसान परेशान

जेएनएन नवादा\गया। वारिसलीगंज प्रखंड क्षेत्र क्षेत्र में धान की फसल पककर तैयार हो गई है। अब कटनी का इंतजार है। लेकिन मज़दूरों की कमी की वजह से इसमें बाधा उत्‍पन्‍न हो रही है। इससे किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। उनका कहना है कि समय पर फसल नहीं कटी तो यह खराब हो जाएगी। अगता फसल झुलसने लगी है।

धान कटनी में बिलंब का मुख्य कारण क्षेत्र से मज़दूरों का बृहत पैमाने पर पलायन होना है। बता दें कि कोरोना महामारी के लॉकडाउन के दौरान जैसे'तैसे दूसरे प्रदेशों से मजदूर लौटे थे। घर पहुंचे मज़दूरों के सामने जब भादो माह में रोजगार की किल्लत हुई तो गांव टोला में घूम रहे मज़दूरों को पलायन करवाने वाले ठीकेदारों से अग्रिम राशि लेना मजबूरी हो गई। फलतः सितंबर के अं‍तिम सप्ताह से मज़दूरों का पलायन शुरू हो गया। अब स्थिति है कि हज़ारो की आबादी वाले अनुसूचित टोले के अधिकांश युवक जा चुके हैं। अब दिव्‍यांग, वृद्ध महिला- पुरुषों के भरोसे धान की कटनी होनी है। हलांकि प्रखंड के कुछ गांवो के साधन संपन्न किसानों के पास धान कटनी के लिए हार्वेस्टर उपलब्ध है। बाबजूद किसानों को मजदूरों की कमी खल रही है।

खेतो में नमी से हार्वेस्टिंग प्रभावित

इस वर्ष अच्छी बारिश के कारण मानसून के अलावा नहरी पानी खेतो को मिलता रहा फलतः फसल अच्‍छी हुई। लेकिन पक जाने पर भी खेतो में नमी बरकरार है। ऐसे में हार्वेस्टिंग करने में परेशानी हो रही है। मकनपुर ग्रामीण मनोज सिंह, बसंत सिंह, शिवकुमार सिंह, अनिल कुमार पप्‍पू आदि कहते हैं कि अगर ससमय धान की कटनी नहीं हुई तो समय पर रबी की बोआई संभव नहीं हो पाएगी। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि सरकार को मज़दूरों का पलायन रोकने के लिए स्थाई तौर पर रोजगार मुहैया करवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। सिर्फ मनरेगा के भरोसे छोड़ देने से पलायन रुकने वाला नहीं है। क्योंकि मज़दूरों के लिए बनाई गई मनरेगा योजना में मजदूर की जगह मशीन कार्य करता है। जिससे मज़दूरों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिल पाता है। कभी मानसून की दगाबाजी तो कभी अतिबृष्टि या तूफानी हवा के प्रभाव से पीडि़त होने वाले किसानों के खेतों में जब फसल कुछ ठीक ठाक होती है तब मज़दूरी की कमी से फसल बर्बाद होती है।

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