जैविक खाद बनाने वाली मशीन बंद, नहीं हो रहा कचरे का निष्पादन

गया। स्वच्छता सर्वेक्षण में सबसे अधिक अंक कचरे के निष्पादन पर मिलता है फिर भी गया को देशभर में 208वां स्थान मिल गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 11:35 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 11:35 PM (IST)
जैविक खाद बनाने वाली मशीन बंद, नहीं हो रहा कचरे का निष्पादन
जैविक खाद बनाने वाली मशीन बंद, नहीं हो रहा कचरे का निष्पादन

गया। स्वच्छता सर्वेक्षण में सबसे अधिक अंक कचरे के निष्पादन पर मिलता है, फिर भी गया को देशभर के शहरों में 208वां स्थान मिल गया, जबकि कचरा मुक्त शहरों में 1100 में शून्य अंक मिले हैं, क्योंकि कचरे का निष्पादन करने में नगर निगम कोताही बरत रहा है। इसको लेकर शहर में लगी ओडब्लूसी मशीन (ऑर्गेनिक वेस्ट कंपोस्टर) बंद पड़ी है। कचरे के निष्पादन को लेकर नगर निगम ने विष्णुपद श्मशान घाट व अक्षयवट पिडवेदी के पास मशीन लगाई थी। श्मशान घाट पर तीन और अक्षयवट पिडवेदी के पास दो मशीन लगाया था। पांच में से मात्र दो मशीनें चल रही हैं। तीन मशीनें कई महीने से बंद पड़ी हैं, जिसके कारण गीले कचरे से जैविक खाद नहीं बन रही है। ऐसे में कचरे का निष्पादन नहीं हो रहा है। 2022 की स्वच्छता रैंकिग में अव्वल रहने के लिए कचरे का निष्पादन बहुत जरूरी होगा। धूल फांक रही है मशीन :

कचरे के निष्पादन को लेकर नगर निगम दस मशीनों की खरीदारी की गई है। प्रत्येक मशीन दस लाख रुपये की है। मशीन खरीदने का मुख्य उद्देश्य गीला कचरा से जैविक खाद बनाना है, लेकिन पांच मशीनें शहर में लगाई गई, जबकि पांच मशीनें कार्यालय परिसर में कई महीने से जंग खा रही हैं। अगर सभी मशीनें चालू रहतीं तो कचरे के निष्पादन में आसानी होती। यही हाल रहा तो सरकार नगर निगम स्वच्छता को राशि देना बंद कर देगी। वार्ड में ही कचरे का निष्पादन करने बनी थी योजना :

कचरे को वार्ड में निष्पादन करने को लेकर नगर निगम ने कार्ययोजना तैयार की थी। कार्ययोजना पर निगम बोर्ड ने मुहर भी लगा दी थी, लेकिन कार्ययोजना धरातल पर न उतर कर कागज में सिमट कर रहा गया। वार्ड में कचरे का निष्पादन होता तो नगर निगम को प्रत्येक दिन तीन से चार लाख रुपये की बचत होती। ऐसे कचरे का निष्पादन को लेकर नगर निगम डंपिग ग्राउंड में में प्लांट लगा रहा है। प्लांट लगाने काम भोपाल की एक कंपनी कर रही है। मशीन एक दिन में तीन सौ से लेकर चार सौ टन कचरा निष्पादन करेगी। शहर से अधिक निकलता है गीला कचरा :

शहर में प्रत्येक दिन 288 टन कचरा निकलता है, जिसमें 60 प्रतिशत कचरा गीला और 40 प्रतिशत कचरा सूखा निकलता है। मशीन की खरीदारी गीले कचरे से जैविक खाद बनाने के लिए किया गया था। वहीं खाद देने का अनुबंध कृषि विभाग से किया गया है। कार्य धरातल पर नहीं उतर हवा हवाई बनकर रह गई।

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