बाराचट्टी के बुमेर में मनरेगा से चल रही सिर्फ एक योजना, वह भी धनाभाव में बंद

फोटो 50 ------------ -आठ राजस्व गाव और 13 वार्डो वाले क्षेत्र की बुमेर पंचायत में केवल हो रहा हदहदवा आहर का जीर्णोद्धार -समय पर मजदूरी का भुगतान न होने से इस कार्य पर भी दस दिन पहले मजदूरों ने रोक दिया काम -मजदूरी के भुगतान की आस में मजदूर हुए निराश जंगल से सूखी लकड़ी बेच कर रहे गुजारा --------------- स्ावाद सूत्र

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 Feb 2020 02:44 AM (IST) Updated:Sat, 29 Feb 2020 02:44 AM (IST)
बाराचट्टी के बुमेर में मनरेगा से चल रही सिर्फ एक योजना, वह भी धनाभाव में बंद
बाराचट्टी के बुमेर में मनरेगा से चल रही सिर्फ एक योजना, वह भी धनाभाव में बंद

बाराचट्टी (गया) : बाराचट्टी प्रखंड के बुमेर गाव में महात्मा गाधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत सिर्फ एक विकास कार्य हो रहा है। पंचायत में केवल हदहदवा आहर का जीर्णोद्धार का कार्य कराया जा रहा है, वह भी बीते दस दिनों से धनाभाव के चलते बंद हो गया है। मजदूरों को मेहनताना न मिलने से उन्होंने कार्य रोक दिया है। इसमें 30 मजदूरों को नवंबर से रोजगार मुहैया हुआ है, परंतु अब तक महज दो महीने की मजदूरी ही मिली है। 26 नवंबर से शुरू इस योजना के कार्य पर काम करने वाले मजदूरों के मुताबिक उन्हें नवंबर व दिसंबर का पैसा मिला है, लेकिन उसके बाद से पारिश्रमिक नहीं मिलने से इन लोगों ने काम करने से मना कर दिया है। 3.68 लाख रुपये की लागत से हो रहा आहर का जीर्णोद्धार :

आठ राजस्व गाव और 13 वार्ड वाले क्षेत्र की बुमेर पंचायत के मुखिया जानकी यादव के अनुसार दो वर्ष में एक भी योजना की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं देने की बात कुछ हद तक सही प्रतीत होती है। जबकि कार्यक्रम पदाधिकारी जफर कैफी के अनुसार केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा से एक योजना का संचालन कराने की बात सिर्फ खानापूर्ति है। दरअसल, बुमेर गाव के हदहदवा आहर का जीर्णोद्धार का कार्य तीन लाख 68 हजार रुपये से हो रहा है। इस पर भी धनाभाव के कारण काम दस दिनों से बंद पड़ा है। नहीं मिल रही मजदूरी, सूखी लकड़ियां बेच पाल रहे पेट :

परिवार के पालन-पोषण के लिए बुढ़ापे में भी कई मजदूर काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मजदूरी का भुगतान नहीं होने से वह निराश हैं। अब जबकि काम बंद हो गया है तो उन्हें परिवार के गुजारे के लिए जंगल से सूखी लकड़ी बीनकर उसे बेचकर गुजारा करना पड़ रहा है। मजदूर चंद्रदेव यादव व रामचंद्र यादव बताते हैं, दिसंबर तक की मजदूरी मिली है, उसके बाद से भुगतान नहीं हुआ है। कई दफा मुखिया से बोले तो वे कहते हैं, 'साहब मस्टर रोल नहीं निकाल रहे, निकलेगा तो आपके खाते में पैसा आ जाएगा।' बराबर भुगतान की गई है मजदूरी, इस महीने की भी जल्द मिलेगी :

मनरेगा के नियमों के अनुसार हमने कार्य कराया है। सभी का मस्टर रोल अपडेट है। पैसा भुगतान का कार्य ऑनलाइन होता है, इसलिए वह मेरे वश में नहीं है। फरवरी का मस्टर रोल कार्यालय में जमा है। प्रक्रिया जैसे ही पूरी होगी, पैसा खाते में चला जाएगा। यह सही है मजदूरी न मिलने से श्रमिकों ने दस दिनों से काम बंद कर दिया है।

-धनंजय कुमार, पंचायत रोजगार सेवक, ग्राम पंचायत बुमेर, बाराचट्टी।

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