बिहार का एक ऐसा गर्ल्‍स स्‍कूल; यहां क्‍लासरूम में ही सोती, खाती-पीती हैं छात्राएं, 21 साल से ऐसा हाल

बालिकाओं को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है। आवासीय विद्यालय खोलकर शिक्षा देने की व्यवस्था की गई। शिक्षक भी नियुक्त किए गए लेकिन अपना भवन नहीं होने के कारण बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण करने में काफी कष्ट झेलना पड़ रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 09:25 AM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 09:25 AM (IST)
बिहार का एक ऐसा गर्ल्‍स स्‍कूल; यहां क्‍लासरूम में ही सोती, खाती-पीती हैं छात्राएं, 21 साल से ऐसा हाल
राजकीय पिछड़ा वर्ग आवासीय प्लस टू बालिका विद्यालय। जागरण।

जागरण संवाददाता, मानपुर (गया)। बालिकाओं को बेहतर शिक्षा देने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है। आवासीय विद्यालय खोलकर शिक्षा देने की व्यवस्था की गई। शिक्षक भी नियुक्त किए गए, लेकिन अपना भवन नहीं होने के कारण बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण करने में काफी कष्ट झेलना पड़ रहा है। यह हाल नगर प्रखंड क्षेत्र में अवस्थित राजकीय पिछड़ा वर्ग आवासीय प्लस टू बालिका विद्यालय का है। उक्त विद्यालय का अपना भवन स्थापना के 21 साल बाद भी नहीं बनी है।

आठ शिक्षक 200 बालिकाओं को दे रहे तालीम

राजकीय पिछड़ा वर्ग आवासीय प्लस टू बालिका विद्यालय की स्थापना 1999 में की गई। जहां 200 बालिकाओं को आवासीय तौर पर रहकर शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था की गई है। 6 से 12 वीं वर्ग के बालिकाएं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण करें। इसके लिए 8 शिक्षक को नियुक्त किया गया। बालिकाओं को पौष्टिक युक्त भोजन व नाश्ता प्रतिदिन मिले। इसकी जिम्मेवारी  एक एनजीओ को सौंपी गई है। यह विद्यालय बिहार सरकार के पिछड़ा-अतिपिछड़ा कल्याण विभाग की देखरेख में चल रही है।

कमरे नहीं बनने से बालिकाओं को परेशानी

बालिकाओं के लिए खोला गया आवासीय विद्यालय का अपना भवन नहीं है। निजी भवन में विद्यालय 21 साल से चल रहे हैं। जिस कमरा में बालिकाओं को पढ़ाई-लिखाई की जाती उसी कमरा में उन्हें रात में विश्राम भी करना पड़ता। भवन के अभाव में बालिकाओं की शिक्षा कैसी होगी इसका अंदाजा आप भी लगा सकते हैं।

मिल रही बेहतर शिक्षा

बालिकाओं ने कहा, विद्यालय में रूटीन के अनुसार सभी घंटों में पढ़ाई होती है। कमजोर बालिकाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता। यहां संस्कार का भी पाठ पढ़ाया जाता है, लेकिन विद्यालय का अपना भवन नहीं होने के कारण हम बालिकाओं को काफी कष्ट झेलने पड़ रहा है। जिस कमरे में पढ़ते हैं, उसी में विश्राम भी करते हैं। जेल की तरह 24 घंटे एक ही कमरा में कैद रहना पड़ता है। अगर हम लोगों का विद्यालय का अपना भवन हो जाए तो शिक्षा के साथ-साथ विश्राम करने और खेलकूद की आजादी मिल जाएगी।

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला कल्‍याण पदाधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि राजकीय पिछड़ा वर्ग आवासीय प्लस टू बालिका विद्यालय का भवन बनाने के लिए कंडी के समीप पौने पांच एक भूमि वन विभाग से हासिल की गई है। इसके एवज में वन विभाग को मोटी रकम दी गई है। विद्यालय का दो मंजिला भवन बनाने के लिए सरकार ने राशि उपलब्ध करा दी है। अगले माह से भवन निर्माण शुरू हो जाएगा।

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