कोचिंग संस्‍थानों को बंद रखने के आदेश पर भड़के संचालक, छात्रों के साथ 30 को करेंगे सड़क जाम

कोचिंग संस्‍थानों को कोरोना की वजह से बंद किए जाने के आदेश पर संचालकों ने आक्रोश जाहिर किया है। उनका कहना है कि सरकार का निर्णय एकतरफा है। इसलिए इसके विरोध में वे लोग 30 नवंबर को सड़क जाम करेंगे।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 08:30 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 08:30 AM (IST)
कोचिंग संस्‍थानों को बंद रखने के आदेश पर भड़के संचालक, छात्रों के साथ 30 को करेंगे सड़क जाम
गया में कोचिंग संचालक करेंगे सड़क जाम। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

जेएनएन, गया। कोचिंग संस्थानों को बंद रखने के सरकारी आदेश को लेकर संचालक आक्रोश में हैं। इसको लेकर शहर के बांकेबजार में सभी संचालकों ने शुक्रवार को बैठक की। निर्णय लिया कि सरकार के इस आदेश के विरोध में 30 नवंबर को कोचिंग के बच्चों के साथ सड़क जाम एवं प्रदर्शन किया जाएगा।

बैठक में कोचिंग संचालकों ने सरकार के इस निर्णय की आलोचना की। कहा कि जब चुनाव था तब कोरोना का प्रभाव नहीं था क्या। सरकार बन गई तो कोरोना का प्रभाव बढ़ गया। पूरे चुनाव में हजारों की संख्या में लोगों को बुलाकर कर पूरे बिहार में सभा की गई। उस समय बिना मास्क और फिजिकल डिस्‍टेंस के लोग पहुंचते रहे। हुजूम में खड़े रहे। तब कोरोना नही फैला, अब कोचिंग में 10-20 बच्चे के आने से कोरोना फैल रहा है। सरकार का यह आदेश उचित नहीं है।

हाट-बाजार में उड़ती है नियमों की धज्जियां

हाट-बाजार में तो आज भी सैकड़ों लोग भीड़ लगाए रहते हैं। न मास्‍क होता है और न शारीरिक दूरी। लेकिन उसपर किसी अधिकारी का आंख नही खुलती है। कोचिंग संचालकों का कहना था कि हम नियमों का पालन करते हुए बच्‍चों को पढ़ा रहे हैं तो वहां सबकी नजर पड़ जाती है। कोचिंग को बंद करने से जहां एक ओर बच्‍चों की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न हो रही है तो शिक्षित बेरोजगारों की आ‍र्थिक स्थिति खराब हो गई है। कोचिंग में पढ़ा कर अपने परिवार का खर्चा चलाने वालों के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया है। सरकार के तरफ से  इसके प्रति कोई उपाय किये बिना फरमान जारी करना गरीब और पढ़े-लिखे बेरोजगारों पर रोलर चलाने का बराबर है। लेकिन अब हम चुप नहीं बैठेंगे। सरकार जब तक आदेश वापस नहीं लेती, हम आंदोलन करते रहेंगे।

कोचिंग संचालकों ने मांग की है कि गाइडलाइन का पालन करते हुए कोचिंग संस्थान को खोलने का आदेश दिया जाय ताकि बच्चों की पढ़ाई भी हो और संचालकों की आर्थिक तंगी से निजात मिल सके।

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