Gaya: मरीज को सड़क पर फेंकने वाले नर्सिंग होम संचालक को भेजा जेल, न डिग्री दिखाई न लाइसेंस
पैसे नहीं देने पर गंभीर मरीज को सड़क पर फेंकने के मामले में प्रशासन ने नर्सिंग होम को सील कर दिया है। साथ ही नर्सिंग होम के संचालक को जेल भेज दिया गया। नर्सिंग होम के संचालक ने न डिग्री दिखाई और न लाइसेंस।
फतेहपुर(गया), संवाद सूत्र। फतेहपुर प्रखंड कार्यालय के सामने कई वर्षों से अवैध नर्सिंग होम (Illegal Nursing Home) चलाया जा रहा था। अक्सर जिले के वरीय प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता था लेकिन क्षेत्र में संचालित इस नर्सिंग होम की सत्यता की जानकारी किसी को नहीं लग सकी। लेकिन एक बीमार के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार ने पोल खोल दी। यदि संचालक एवं उसके सहयोगियों ने मतासो निवासी मरीज एवं उसके स्वजनों के साथ हैवानियत नहीं की होती तो इसका पता ही नहीं चलता। बहरहाल नर्सिंग होम संचालक एसएन दास को जेल भेज दिया गया है।
मारपीट की घटना के बाद पहुंची थी पुलिस
मारपीट की घटना पूरे जिले में आग की तरह फैल गई। जिसके बाद ही तुरंत ही नर्सिंग होम में छापा मारा गया। इस दौरान मौके पर रहे संचालक एस एन दास को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। संचालक नर्सिंग होम की पंजीयन एवं डाॅक्टर की योग्यता का प्रमाण पत्र नहींं दिखा सका। इसके बाद नर्सिंग होम को सील कर दिया। वही सीएचसी प्रभारी डॉ अशोक कुमार के द्वारा नर्सिंग होम को अवैध ठहराते हुए फतेहपुर थाने में एक शिकायत दर्ज कराई गई। सुरेन के स्वजनों के साथ हुई मारपीट की घटना को लेकर नर्सिंग होम के संचालक एसएन दास एवं उसके एक अन्य सहयोगी पर केस दर्ज कराया। वही संचालक ने भी एक महिला समेत चार नामजद एवं 10 अज्ञात पर नर्सिंग होम में तोड़फोड़ करने एवं कर्मियों के साथ मारपीट करने को लेकर फतेहपुर थाने में केस दर्ज कराई है।
ऑक्सीजन के एक सिलेंडर के लिए मांगे 20 हजार
मालूम हो कि सोमवार को आदर्श चिकित्सालय सेवा सदन मोरहे में भर्ती मरीज के स्वजनों ने आरोप लगाया कि संचालक एवं उसके सहयोगियों ने भर्ती मरीज को गंभीर अवस्था में सड़क पर फेंक दिया। साथ ही उनके साथ मारपीट की। स्वजनों ने बताया कि नर्सिंग होम में चार दिन पहले सुरेन मांझी को भर्ती कराया गया था। वहां दो दिनों तक ऑक्सीजन चढ़ाया गया। लेकिन ऑक्सीजन लेवल बेहतर नहीं हो सका। तब डॉक्टर ने एक सिलेंडर के लिए 20 हजार देने को कहा। चार दिनों में डॉक्टर ने कुल 90 हजार का बिल बनाया था। उसमें से 70 हजार एडवांस में ले लिए थे। वहीं संचालक का कहना है कि ऑक्सीजन के लिए पैसे की मांग की गई थी परंतु मरीज के स्वजनों ने पैसे नहीं दिए। कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार किया। जैसे ही मरीज के साथ दुर्व्यवहार करने की घटना सामने आई पूरा प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया।