सासाराम के सरकारी अस्पतालों में बढ़ा सामान्य प्रसव, ग्रामीण क्षेत्रों में निजी प्रैक्टिशनर कर रहे सिजेरियन

पांच वर्ष पूर्व जहां 80.7 फीसद बच्चों का जन्म अस्पतालों में होता था वहीं 2020- 21 में यह 89.1 फीसद हो गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में इस बार सरकारी अस्पतालों में सामान्य प्रसव बढऩे की बात कही मगर निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव कराने का प्रचलन बढ़ा है।

By Sumita JaiswalEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 12:33 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 12:33 PM (IST)
सासाराम के सरकारी अस्पतालों में बढ़ा सामान्य प्रसव, ग्रामीण क्षेत्रों में निजी प्रैक्टिशनर कर रहे सिजेरियन
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में संस्थागत प्रसव पर कई तथ्य उजागर, सांकेतिक तस्‍वीर।

सासाराम : रोहतास, ब्रजेश पाठक। जिले में संस्थागत प्रसव में वृद्धि दर्ज की गई है। पांच वर्ष पूर्व जहां 80.7 फीसद बच्चों का जन्म अस्पतालों में होता था वहीं 2020- 21 में यह 89.1 फीसद हो गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में इस बार सरकारी अस्पतालों में सामान्य प्रसव बढऩे की बात कही गई है वहीं निजी अस्पतालों में आपरेशन के माध्यम से यानि सिजेरियन प्रसव कराने का प्रचलन बढ़ा है। पहले आठ फीसद बच्चों का जन्म ही सीजेरियन के माध्यम से होता था जो अब 14.1 फीसद हो गया है। केवल निजी अस्पतालों में ही लगभग 36 फीसद सिजेरियन द्वारा  प्रसव कराया जा रहा है। विशेषज्ञ महिला चिकित्सक भी अति आवश्यक होने पर ही सिजेरियन की सलाह दे रही हैं। सिजेरियन आपरेशन बढऩे का सबसे बड़ा कारण छोटे-छोटे बाजारों व कस्बों में बड़े डाक्टरों का बोर्ड लगा ग्रामीण प्रैक्टिशनरों द्वारा गलत ढंग से आपरेशन करना बताया जाता है।

मातृ-शिशु दर में आई कमी

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की उपस्थिति में भी प्रसव की संख्या बढ़ी है। मातृ-शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों में भी कमी आई है। स्वास्थ्य सेवाओं पर दलोगों का भरोसा बढऩे से परि²श्य भी बदला है, हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी चिकित्सक बन गलत इलाज करने से लोगों की जान जाने का खतरा भी बढ़ा है। गत एक वर्ष में एक दर्जन से अधिक महिलाओं व नवजात की जान गलत आपरेशन के कारण जाने का मामला जिले के विभिन्न थानों में दर्ज हुआ है।

अवैध क्लीनिकों पर नहीं लगी रोक :

जानकारों की मानें तो जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पांच दर्जन से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध क्लीनिकों का संचालन हो रहा है। इस संबंध मेंं वरीय अधिकारियों के निर्देश के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इन अवैध नर्सिंग होम को संचालित कराने में एएनएम, आशा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका भी बताई जाती है। इसके पीछे इलाज के लिए इन निजी अस्पतालों को मिलने वाली राशि में एक बड़ा हिस्सा इनका भी होता है।

कहती हैं विशेषज्ञ महिला चिकित्सक :

सासाराम सदर अस्‍पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ सौम्‍या निविति ने बताया कि सरकारी अस्पतालों व निजी क्लीनिकों में प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या निश्चित रूप से बढ़ी है। संस्थागत प्रसव कराने से जच्चा-बच्चा में संक्रमण का खतरा नहीं होता है। सिजेरियन आपरेशन के माध्यम से प्रसव विशेष परिस्थिति में ही करानी चाहिए। सिफैलो पेल्विक डिस्प्रोपोरेशन, एब्नार्मल प्रेजेंटेशन, फिटल डिस्ट्रेस, पूर्व में सिजेरियन डिलेवरी हुआ हो या अन्य शारीरिक कारण से भी सिजेरियन कराया जा सकता है। सदर अस्पताल में औसतन 15 सिजेरियन प्रति माह अभी किया जा रहा है। हालांकि यहां सामान्य प्रसव की संख्या भी काफी बढ़ी है। सिजेरियन आपरेशन किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से ही करानी चाहिए नहीं तो जच्चा-बच्चा दोनों के जीवन पर खतरा रहता है।

एनएफएचएस के सर्वे एक नजर में

   प्रसव                                 वर्ष 2020-21               2015-16 फीसद में

संस्थागत प्रसव                           89.1                            80.7

सरकारी अस्पतालों में प्रसव              51.7                            42

घर पर प्रशिक्षित कर्मी द्वारा प्रसव           03.7                       02.4

प्रशिक्षित कर्मी द्वारा कराया गया प्रसव     91.3                         83.2

सिजेरियन                                   14.1                       8. 00

निजी अस्पतालों में सिजेरियन              35.7                     19.00

सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन           1.5                          1.6

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