एनएच-2 पर आए दिन हादसों में होती मौत पर जान बचाने को ट्रामा सेंटर नहीं

गया नई दिल्ली से लेकर कोलकाता तक जाने वाली एनएच-2 का 66 किमी. हिस्सा गया जिले से होकर गुजरती है। हजारों गाड़ियां सरपट दौड़ती हैं। आए दिन इस जीटी रोड पर सड़क हादसे होते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 10:57 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 10:57 PM (IST)
एनएच-2 पर आए दिन हादसों में होती मौत पर जान बचाने को ट्रामा सेंटर नहीं
एनएच-2 पर आए दिन हादसों में होती मौत पर जान बचाने को ट्रामा सेंटर नहीं

गया : नई दिल्ली से लेकर कोलकाता तक जाने वाली एनएच-2 का 66 किमी. हिस्सा गया जिले से होकर गुजरती है। हजारों गाड़ियां सरपट दौड़ती हैं। आए दिन इस जीटी रोड पर सड़क हादसे होते हैं। कईयों की जान जाती है। बावजूद इस जीटी रोड से जुड़कर एक भी ट्रामा सेंटर अस्पताल नहीं है। यदि इस पूरे इलाके में तरीके का एक ट्रामा सेंटर अस्पताल रहे तो संभव है कि अनेक लोगों की जान बचाई जा सके। इधर, जिले में एकमात्र ट्रामा सेंटर नाम से एक भवन अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल के परिसर में बना हुआ है। लेकिन यह अपने नाम के उद्देश्यों को पूरा करता हुआ नहीं दिखता। अभी तक यहां एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक की पोस्टिग नहीं हुई। इसमें कभी इमरजेंसी वार्ड तो कभी कोविड-19 का आइसोलेशन वार्ड बनाकर इस ट्रामा सेंटर भवन का इस्तेमाल किया जाता है। तीन साल पहले यह भवन बना है।

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दुर्घटना या जख्मी गंभीर मरीजों के इलाज के लिए होता है ट्रामा सेंटर

-ट्रामा सेंटर एक तरह का विशिष्ठ गुणवत्ता का अस्पताल होता है। जो मुख्य रूप से से किसी भी तरह की दुर्घटना, सड़क हादसा, गोली लगने से जख्मी मरीजों का गंभीर स्थिति में इलाज के लिए सक्षम होता है। यहां विशेषज्ञ डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की टीम मरीज की जान बचाने के लिए 24 घंटे तत्पर रहती है। गया जिले में एक भी ट्रामा सेंटर का नहीं होना चिता की बात है।

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ग्राफिक्स:

ट्रामा सेंटर अस्पताल में इनकी होनी चाहिए तैनाती

न्यूरो सर्जन

जेनरल सर्जन

आर्थोपेडिक सर्जन

ओटी असिस्टेंट

लैब टेक्नीशियन

एनेस्थिसिया चिकित्सक

इमरजेंसी मेडिसिन के चिकित्सक

एक्स-रे टेक्नीशियन

एक्सपर्ट-पारामेडिकल स्टाफ

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ग्राफिक्स:

जिले में एनएच-2 का पूरा मार्ग

झारखंड बार्डर से भलुआ बाराचट्टी- 17 किमी.

बाराचट्टी से डोभी-14 किमी.

डोभी से शेरघाटी-15 किमी.

शेरघाटी से आमस- 15 किमी.

आमस से विशनपुर औरंगाबाद की सीमा- 5 किमी.

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क्या कहते हैं अधिकारी:

बैठक में कई बार ट्रामा सेंटर को लेकर चर्चा होती है। लेकिन अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है। वैसे बाराचट्टी या डोभी के इलाके में एक ट्रामा सेंटर होना चाहिए। यह काफी व्यस्त एएनएच है। इससे सड़क हादसे में घायल हुए गंभीर मरीजों को लाभ होगा।

डा. केके. राय, सिविल सर्जन, गया।

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