रैन बसेरा नहीं जनाब! इसे अव्यवस्थाओं का अड्डा ही कहिए

संजय कुमार गया शहर में ठंड लगातार ठंड बढ़ती जा रही है। न्यूनतम तापमान 10 डिग्री के करीब पहुंच गया है। ऐसे में रैन बसेरों की प्रासंगिकता बढ़ गई है लेकिन ये संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 11:07 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 11:07 PM (IST)
रैन बसेरा नहीं जनाब! इसे अव्यवस्थाओं का अड्डा ही कहिए
रैन बसेरा नहीं जनाब! इसे अव्यवस्थाओं का अड्डा ही कहिए

संजय कुमार, गया : शहर में ठंड लगातार ठंड बढ़ती जा रही है। न्यूनतम तापमान 10 डिग्री के नीचे आ गया है। ऐसे में गरीबों व असहाय लोगों के लिए नगर निगम की ओर से कई स्थानों पर बनवाए गए रैन बसेरे ही सहारा हैं। हालत यह है कि इन रैन बसेरों में संसाधनों की कमी है। इसकी कमी को लोग चंदे के माध्यम से पूरा करते हैं। आवासीय व्यवस्था के साथ आश्रय योजना के तहत छह रैन बसेरों में एक ही स्थान पर भोजन सुलभ कराया जा रहा है। जागरण टीम ने शुक्रवार की रात शहर में स्थित कई रैन बसेरों का जायजा लिया। इस दौरान कई रैन बसेरों में मूलभूत सुविधाएं नदारद मिलीं। कही पंखे खराब मिले तो कहीं मच्छरदानी नहीं दिखी। साथ ही सभी रैन बसेरों में पेयजल का अभाव दिखा। समय : रात 9 बजे, स्थान : पंचायती अखाड़ा, रैन बसेरा

इस रैन बसेरे का प्रवेश द्वार अंदर से बंद था। आवाज देने के बाद केयर टेकर पंकज कुमार ने दरवाजा खोला। यहां पांच से छह लोग आराम फरमा रहे थे। सभी लोगों को दो-दो कंबल मिले थे, लेकिन गद्दा, चादर व मच्छरदानी का सिर्फ नाम था। गंदे व फटे रहने से रूई बाहर निकल रही थी। यहां सोते मिले उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के मो. नईम ने कहा, रैन बसेरा तो सरकारी है, लेकिन संसाधनों का अभाव है। बल्ब, टूयूबलाइट व पंखे खराब होने पर आपस में लोग चंदा करते हैं। केयर टेकर ने बताया कि रैन बसेरा में कई महीने से आरओ मशीन खराब है। समय - रात 9:20 बजे, स्थान : रेलवे स्टेशन स्थित रैन बसेरा

यहां रैन बसेरे का प्रवेश द्वार खुला था। दो बेड पर तीन लोग बैठकर मोबाइल देख रहे थे। पत्रकार को देख सभी लोग हड़बड़ा गए और अपने-अपने बेड पर चले गए। दो मंजिल के रैन बसेरे में नीचे की मंजिल में काफी कम लोग सो रहे थे, जबकि पहली मंजिल पर एक भी बेड खाली नहीं थे, लेकिन मच्छरदानी नहीं लगी थी। केयर टेकर अमर कुमार ने कहा कि यहां संसाधन का अभाव है। सबसे बड़ी समस्या पानी की है। सप्लाई के पानी पर आश्रित है। बोरिग कई महीने से खराब है। समय - रात : 9:40 बजे, स्थान - गांधी मैदान का रैन बसेरा-एक

इस रैन बसेरे में कुर्सी पर बैठकर केयर टेकर राजा कुमार कुछ पढ़ रहे थे। साथ ही 12 बेडों में तीन बेड पर लोग सो रहे थे। इसमें दो गुरुआ प्रखंड और एक दूसरे प्रखंड के थे। रैन बसेरे में बेड पर सिर्फ गंदा चादर बिछा था, जबकि मच्छरदानी, तकिया, पानी आदि कुछ भी नहीं था। नरेश मांझी ने कहा कि आरओ मशीन खराब रहने से काफी परेशानी हो रही है। पीने के लिए पानी खरीदते हैं। साथ ही शौचालय नहीं करने के कारण रात में और अधिक परेशानी होती है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। समय : रात - 9:55 बजे, स्थान - गांधी मैदान का रैन बसेरा-दो

इस रैन बसेरे में सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं देखा गया। बेड पर कंबल, चादर, मच्छरदानी को छोड़कर कुछ भी नहीं दिखा। मनोरंजन के लिए लगा टेलीविजन कई वर्षो से खराब पड़ा है। यही हाल आरओ मशीन का है। पानी पीने के लिए लोग तरस जाते हैं। रैन बसेरे में ठहरे बाराचट्टी के दिलीप कुमार ने कहा कि यहां सुविधा ना के बराबर है। खाना नहीं मिलने के साथ पानी और शौचालय का भी बुरा हाल है। समय : रात 10:10 बजे, स्थान - गांधी मैदान का रैन बसेरा-तीन

इस रैन बसेरे में 12 बेड लगे थे। सभी बिस्तरो पर लोग सो रहे थे। मच्छरदानी के साथ सभी लोग कंबल भी ओढ़ रखे थे। लोग खर्राटे लेकर आराम से सो रहे थे। केयर टेकर प्रकाश कुमार पासवान कुर्सी पर बैठकर रजिस्टर देख रहे थे। उन्होंने कहा कि रैन बसेरे के रखरखाव को लेकर प्रत्येक महीने दस हजार रुपये सरकार देती है, लेकिन कई महीने से राशि नहीं मिली है। राशि के अभाव में रैन बसेरे की हालत बदहाल है। समय : रात 10:30 बजे, स्थान : गांधी मैदान का रैन बसेरा- चार

इस रैन बसेरे के 12 बेडों में सिर्फ चार बेड खाली थे। सभी बेडों पर लोग सो रहे थे। रैन बसेरे के मैनेजर राजू प्रसाद कुर्सी पर बैठकर झपकी ले रहे थे। उन्होंने कहा कि ठंड बढ़ने के साथ रैन बसेरे में रहने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन नगर निगम की ओर से अनदेखी की जा रही है। एक भी गद्दा, चादर, मच्छरदानी, तकिया व खाट ठीक नहीं है। किसी तरह काम चल रहा है। कई बार मांग करने के बाद भी उक्त सामग्री मुहैया नहीं कराई गई।

chat bot
आपका साथी