Farmers in Gaya: किसानों को नहीं मिल रहे धान के खरीदार, बिचौलियों को औने-पौने दाम पर बेचना मजबूरी

किसान व्‍यथा जिले के किसान काफी परेशान हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। भूखमरी की नौबत आ गई। वजह धान की खरीदारी नहीं होना। सरकार धान खरीद नहीं रही और अच्‍छी कीमत देकर कोई खरीद ले ऐसा खरीदार नहीं मिल रहा।

By Edited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 08:30 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 09:24 AM (IST)
Farmers in Gaya: किसानों को नहीं मिल रहे धान के खरीदार, बिचौलियों को औने-पौने दाम पर बेचना मजबूरी
धान की खरीद नहीं होने पर किसानों पर छाया आर्थिक संकट। जागरण आर्काइव।

गया, जेएनएन। जिले के किसान काफी परेशान हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। भूखमरी की नौबत आ गई। वजह धान की खरीदारी नहीं होना। सरकार धान खरीद नहीं रही और अच्‍छी कीमत देकर कोई खरीद ले, ऐसा खरीदार नहीं मिल रहा। ऐसी स्थिति में वे बिचौलियों के माध्‍यम से औने-पौने कीमत पर अपनी उपज बेच रहे हैं।

क्‍या कहते हैं अतरी और नीमचक बथानी के कृषक

अतरी मोहड़ा एंव नीमचक बथानी प्रखंड में किसानों ने चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि सरकारी स्‍तर पर धान की खरीदारी नहीं होने से उनकी माली हालत खस्‍ता हो गई है। उन्‍हें धान की अच्‍छी कीमत नहीं मिल पा रही। बिचौलिये बाजार के रेट से काफी कम दाम देते हैं।

1300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच रहे धान

1300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने पर मजबूर हैं। किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर बिचौलिये कम कीमत पर खरीदकर स्टॉक कर रहे हैं। किसानों के खेतों में लगे धान की कटनी हो गई है। लेकिन, खरीदार कोई नहीं मिल रहा है। कहने को तो सरकारी समर्थन मूल्य 19 सौ रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन हकीकत यह है कि एक हजार रुपये में भी कोई खरीदार नहीं है। बिहार के हर राजनीतिक पार्टी किसानों के हित में बात करती है किन्तु सच्चाई इसके विपरीत है।

किसानों की समस्‍या पर किसी का ध्‍यान नहीं

किसानों की समस्या को लेकर न तो सरकार गंभीर है और न ही अधिकारी उन्हें शायद यह भी मालूम नहीं कि धान खरीद मुद्दा है या नहीं। हार्वेस्टर एव मजदूरों से धान की कटाई हो रहा है लेकिन बाजार में खरीदार नही मिलने की वजह से मजबूरन किसानों को खेत व गांव के आस-पास धान की रखवाली करना पड़ रहा है। किसानों को पहले से संकट है ऐसे में उन्हें किसी तारणहार की तलाश है जो समर्थन मूल्य पर धान खरीदारी करा सके अगर फसल समय पर नहीं कटा तो रबी फ़सल के बुआई पर बहुत खासा असर पड़ सकता है। फिलहाल दिवाली पर्व से पहले फ़सल का कटाई जोरों पर शुरू हो जाता था पर मजदूरों के अभाव में धान की कटाई का काम धीमा चलने की आशंका का प्रबल हो गई है। क्षेत्र के पैक्स अध्यक्षों को सरकारी आदेश जारी नहीं किए जाने के कारण अबतक धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है।

15 नवंबर से ही शुरू हो जाती थी धान की खरीदारी

आमतौर पर प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर से ही प्रखंड के पैक्सों में धान खरीद की जाती रही है। लेकिन इस वर्ष अभी तक धान की खरीदारी पैक्स अध्यक्षों के द्वारा शुरू नहीं की जा सकी है। इसका फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं। वे सरकार के निर्धारित दर से 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की कम कीमत पर किसानों से धान खरीद कर स्टॉक कर रहें है। प्रखंड क्षेत्र में एक भी पैक्सों में धान की खरीदारी शुरू नहीं होने से किसानों को बिचौलियों के हाथों धान बेचना मजबूरी हो गयी है। ऐसे में किसानों को धान की फसल से मुनाफा होना तो दूर लागत पूंजी भी निकलना मुश्किल हो गया है। उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ भी नहीं मिल रहा है।

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