कलाकारों के जीवन पर चिंतन करने की जरूरत
बथानी में दो दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ कला को मिले बेहतर बाजार - सचिव फोटो 47 संवाद सूत्र अतरी
गया । नीमचक बथानी प्रखंड क्षेत्र के पत्थरकट्टी में पाषाण शिल्प के विकास में डिजाइन के महत्व विषय पर शनिवार से दो दिवसीय सेमिनार शुरू हुआ। इसका उद्घाटन उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल ने दीप जलाकर किया। इसका आयोजन बिहार सरकार उद्योग विभाग के नियंत्रणाधीन उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना एवं वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से किया गया है। मौके पर सचिव ने कहा कि मूर्ति अमर है, जो इतिहास से चला आ रहा है। बिहार सरकार उद्योग विभाग के नियंत्रणाधीन उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना एवं वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से किया गया है। मौके पर सचिव ने कहा कि मूर्ति अमर हैं, लेकिन बनाने वाले कलाकार हैं उनके जीवन पर चिंतन होना चाहिए। गरीब का सामान पैसा देकर संस्थान द्वारा खरीद कर बाहर के बाजारों में बिक्री हो, ताकि गरीब कलाकार का जीवन पर असर ना पड़े।
उनके जीवन को और बेहतर करने के लिए विभाग का मुख्य उद्देश्य यह हो कि उनकी कला का आने वाले दिनों में बड़े शहरों में शोरूम खोल कर बिक्री करवाने की व्यवस्था करे। इसमें बिचौलियों की भागीदारी ना हो। उन्होंने काष्ठ एवं पाषाण कला के चल रहे डिजाइन एवं टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट वर्कशॉप का भी सर्वेक्षण किया। इसमें 30 प्रशिक्षु प्रशिक्षण ले रहे थे। काष्ठ कला के प्रशिक्षक मंटू शर्मा एवं डिजाइनर श्रीमती अलका कुमारी तथा पाषाण कला के प्रशिक्षक बिरजू राम एवं डिजाइनर गुंजन कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण में सभी प्रशिक्षु को एक महीने ट्रेनिंग दी जाती है। तीन सौ रुपए दैनिक भत्ता के रूप में भी दिया जाता है। साथ ही प्रतिदिन पांच घटे का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस कार्यक्त्रम का मंच संचालन आराधना झा ने किया। अतिथियों का स्वागत अशोक कुमार सिन्हा निदेशक उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान पटना ने किया। इस कार्यक्रम में बीके झा सहायक निदेशक हस्तशिल्प पटना, डॉ अरविंद महाजन क्षेत्रीय उपनिदेशक संग्रहालय निदेशालय बिहार, प्रोफेसर केके नारायण गया आदि मौजूद थे।